पूर्व मध्य रेलवे के रांची अवस्थित परियोजना पद पर तैनात उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त (Sr.SC) के घर की नौकरानी नाबालिग,अनाथ,अनुसूचित जनजाति लड़की के शारिरिक शोषण के आरोप में जवान शम्भू कुमार ठाकुर को बिना जांच पड़ताल के आनन फानन में बरखास्तगी के आदेश को बढ़ता बवाल देख मुख्य सुरक्षा आयुक्त रेसुब पूर्व मध्य रेलवे ने दिनांक 17/6/2021 के अपील को उसी दिन चंद घंटों के भीतर निष्पादन कर जवान को सेवा में निलंबित अवस्था में बहाल कर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिये ।
सर्वप्रथम् “डेली भंडाफोर” ने इस मामले को उठाया और ढ़ेरो सवाल खड़े किये। डेली भंडाफोर के समाचार के बाद ही कई मीडिया एवं जनप्रतिनिधि स्वयंसेवी संस्थाओं का ध्यान इस तरफ आकर्षित किया परिणाम जहां एक तरफ रेल मंत्री के संज्ञान में यह मामला आया वहीं बाल कल्याण समिति ने पुलिस की मदद से बच्ची का उद्धार किया।
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मामला तुल पकड़ता देख एवं रेल मंत्रालय द्वारा प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी गयी।
रेल मंत्रालय द्वारा रिपोर्ट मांगते ही डैमेज कंट्रोल शुरू हुआ तथा आनन फानन में मुख्य सुरक्षा आयुक्त पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर द्वारा जवान के अपील दिनांक 17/6/2021 को उसी दिन चंद घंटों के भीतर निष्पादित कर जवान को बहाल कर दिया गया।
पढ़े बहाली का आदेश।
साथ ही आज मुख्य सुरक्षा आयुक्त घटना स्थल रांची का दौरा कर जांच करने वाले हैं, वहीं एक सूत्र ने जानकारी दी है कि मुंडा समाज की नाबालिग लड़की के साथ अत्याचार पर कारवायी के लिए सरना समिति मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय का घेराव करेगी।
आनन फानन में जवान की बहाली का आदेश के पीछे क्या कोई साजिश है?
सामान्य परिस्थितियों में सजा के बिरूद्ध अपील के निष्पादन में महीनों लग जाते हैं कुछ परिस्थितियों में तो वर्ष गुजर जाते हैं पर इस मामले अपील को निष्पादित कर चंद घंटों के भीतर बहाली का आदेश जारी कर दिया गया।
सवाल जब एक आदेश के बिरूद्व अपील का निष्पादन कर जवान को निलंबित रखते हुए बहाल कर दिया गया और विभागीय प्रक्रिया आरोप पत्र और जांच की पुनः नये सिरे उसी घटना और आरोप पर कारवायी होगी तो अनुशासनिक अधिकारी कौन होगा? मो.साकिब (Sr.SC)का कृत्य दुर्भावनापूर्ण और बदले की भावना के साथ और पक्षपात पूर्ण साबित हो गया? इस स्थिति में मुख्य सुरक्षा आयुक्त ने अनुशासनिक अधिकारी का अधिकार क्यों नहीं लिया । क्या एक ही मामले में जिसमें एक बार अनुशासनिक अधिकारी की गलती उजागर हो गयी पुनः मामला उसी के पास भेजकर वे दो बार अपील का निष्पादन करेंगे?
जवान पर अनाथ,नाबालिग,अनुसूचित जनजाति की लड़की को शारिरिक और मानसिक शोषण करने का गंभीर आरोप है,वहीं बाल कल्याण समिति ने पीड़िता नाबालिग को Sr.SC के घर से उद्धार कर यह साबित कर दिया है कि मो.साकिब भी कहीं न कहीं दोषी हैं।
मो.साकिब पर दो गंभीर आरोप बनते हैं एक अनुशासनिक और न्यायिक अधिकार का दुरूपयोग दूसरा अनुसूचित जनजाति की लड़की के संबैधानिक अधीकार से बंचित रखते हुए मजदूरी करवाना, इस मामले पर प्रशासन खामोश क्यों?
आनन फानन में जवान की बहाली कहीं मो.साकिब को बचाने की मामले को लीपापोती करने की शुरूआत तो नहीं।
मो. साकिब ने राजपत्रित अधिकारियों की गरिमा,मर्यादा और प्रतिष्ठा को तो धूमिल किया ही है बल्कि बल की छबि को तार तार कर दिया है। जवान की आनन फानन में बहाली में मुख्य सुरक्षा आयुक्त एवं अन्य अधिकारियों की इतनी रूचि क्यों जो प्रक्रिया की अनदेखी कर जल्दीबाजी में रॉकेट की गति से निर्णय लिया गया। सवाल जवान निर्दोष तब मो.साकिब पर क्या कारवायी होगी? आज तक अनाथ नाबालिग Sr.SC के घर की बंधुआ नौकरानी के शारिरिक मानसिक शोषण मामले में कोई FIR क्यों नहीं हुयी। जब तक FIR नहीं तब किसलिए निलंबन।
जब अनुशासनिक अधिकारी कृत्य अनुचित था और आदेश गलत जिसे रद्द कर दिया गया तो जवान को निलंबन क्यों रखा गया? अगर निलंबन रखा गया तो अनुशासनिक अधिकारी क्यों नहीं Sr.SC से उच्च अधिकारी को बनाने की बात बहाली आदेश में ही लिखा गया?
Sr.SC के गलत कृत्य के विरूद्ध किसी प्रकार की कारवायी की बात क्यों नहीं?
पुरे मामले में सामान्य समझ तो यह है कि मो.साकिब से न उच्च अधिकारी खुश हैं न जवान। जवानों में भी यह बात भली भांति फैली है कि मो.साकिब की उच्च अधिकारियों से नहीं पटती जिससे मो. साकिब को निरंकुश आदेश जवानों पर थोपने में सुगमता हासिल नहीं।
अभी सब कुछ मामला पीड़िता अनाथ नाबालिग जनजाति की लड़की के बयान पर निर्भर है तथा मो.साकिब किस तरह से डैमेज कंट्रोल करने में येन केन प्रकारेण सफल होते हैं। यह देखना है।
वैसे RPF मुख्यालय द्वारा जितनी जल्दबाजी दिखलायी जा रही वह आश्चर्यजनक है।
RPF में इन सब विकृति का एकमात्र समाधान IPS अधिकारियों की प्रत्येक जोन में तैनाती है। जवानों की आकांक्षा पर गंभीर चर्चा भी चल रही है।