पूर्व मध्य रेलवे के रांची स्थित परियोजना पद पर तैनात रेसुब के उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त(Sr.DSC) मुहम्मद शाकिब के आवास में तैनात नौकरानी नाबालिग अनाथ अनुसूचित जनजाति की लड़की के शारिरिक मानसिक शोषण के आरोप में आनन फानन में एक जवान शम्भू कुमार ठाकुर को सेवा से बरखास्त कर दिया गया।

आदेश में लिखा गया है कि नाबालिक अनुसूचित जनजाति की लड़की का शारिरिक मानसिक शोषण विभिन्न तरीकों से आरोपी जवान द्वारा विगत 6 महीने से फोटो वीडियो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर करने की धमकी देकर कर रहा था,जिसे वह बच्ची बरदाश्त कर रही थी तथा अचानक ऐसा क्या हुआ जो मोहम्मद शाकिब को बतायी एवं आरोपी जवान के बिरूद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज कराये बिना प्रशासनिक अधिकार का प्रयोग करते हुए बिना जांच के बरखास्त कर दिये।

अनाथ नाबालिग अनुसूचित जनजाति की लड़की की शारिरिक मानसिक शोषण के बिरूद्ध पुलिस में शिकायत करने पर पुलिस
POCSO Act एवं SC & ST (prevention of atrocities)act के साथ अन्य कानूनों के तहत पुरे मामले की अनुसंधान करती और आरोपित जवान को कठोर कारावास के दंड दिलाने की कारवाई करती। क्या नौकरी से बरखास्त करने से उस अनाथ नाबालिग अनुसूचित जनजाति की लड़की को न्याय मिल जायेगा या उस जवान को बचाव का संविधान सम्मत उपचार और मौका मिला।

अनाथ नाबालिग अनुसूचित जनजाति की लड़की रेसुब के उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त(Sr.DSC) मुहम्मद शाकिब के आवास (रेस्ट हाउस) में तैनात थी ,जहां सूत्र द्वारा दी गई सूचनानुसार उनकी पत्नी भी रहती है,परन्तु वह बच्ची वहां के एक खाली हॉल जिसमें केयर टेकर रहते हैं,वहां के शौचालय का प्रयोग करती थी।

बरखास्तगी आदेश में कुछ बातें ऐसे लिखी गई है जिससे मोहम्मद शाकिब के स्वयं के व्यवहार पर सवाल उठ रहे हैं। जैसे :-

क्या किसी रेसुब ईकाई के सारे जवान खराब है,जिसके कारण सभी के स्थानान्तरण के लिए अनुशंसा की गई ? क्या मोहम्मद शाकिब एक झगरालू और तुगलकी मिजाज के व्यक्ति है,जिसके कारण इनकी किसी एक जवान से भी नहीं पटती?

मोहम्मद शाकिब के अतीत के पोस्टिंग स्थान पर उनके व्यवहार, कारवाई और शिकायत की भी जांच होनी चाहिए कि वहां भी उनके बिरूद्ध कोई शिकायत तो नहीं?

 

अनाथ नाबालिग अनुसूचित जनजाति की लड़की को नौकरानी के रूप में रखने से पहले पुलिस एवं उन सभी सक्षम संस्थानों को सूचित किये थे,जो बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए संबिधानिक प्रावधानों के तहत काम करती है।

आखिर अनाथ नाबालिग अनुसूचित जनजाति की लड़की ही उन्हें घरेलु नौकरानी के रूप में मिली,कोई बालिग नहीं, कोई अभिभावक वाली नहीं,कोई स्वयं के समाज के नहीं।
जिस उम्र में नाबालिग अनाथ बच्ची को पढनी चाहिए उससे काम कराया जा रहा,एक राजपत्रित अधिकारी क्यों नहीं उसकी कार्य के साथ शिक्षा की व्यवस्था की।

सबसे आश्चर्यजनक बात इस पुरे प्रकरण में नौकरानी अनाथ नाबालिग अनुसूचित जनजाति की लड़की ने मोहम्मद शाकिब को रिपोटिंग की, फिर तो वे स्वयं इस कांड के गवाह भी हुए तो अनुशासनिक अधिकारी कैसे? प्राकृतिक न्याय सिद्धांत की थोड़ी भी जानकारी नहीं

एक राजपत्रित अधिकारी होने के नाते उन्हें रेसुब नियम एवं अन्य नियम की जानकारी होनी चाहिए,फिर किस नियम से एक सहायक उपनिरीक्षक से पीड़िता का बयान दर्ज करवाये,निरीक्षक से क्यों नहीं?

एक अनाथ नाबालिग अनुसूचित जनजाति की नौकरानी लड़की की शारिरिक शोषण से संबधित जानकारी एक पुरूष अधिकारी कैसे ले सकता है,महिला अधिकारी क्यों नहीं ? वह पुरूष अधिकारी भी नियमानुसार सक्षम अधिकारी नहीं है।

अनाथ लड़की को कहां से लाया गया,उसकी भी जांच हो?

अनाथ लड़की को तय मानक अनुसार वेतन दिया जा रहा है या नहीं,उसकी भी जांच हो? अनाथ नाबालिग लड़की को शिक्षा के अधिकार से वंचित तो नहीं किया जा रहा

पुलिस से इतना गंभीर मामला क्यों छुपाया जा रहा ?

इस संबध में Sr.DSC मोहम्मद साकिब का कहना है वे एक ईमानदार और धार्मिक व्यक्ति हैं एवं जिन लोगों के बिरूद्ध शिकायत की गई है,वे सभी फर्जी तरीके से रेलवे से यात्रा भत्ता लेते थे,जिसके बिरूद्ध जांच के लिए पिछले वर्ष नवम्बर 2020 में ही मुख्यालय को लिखा गया था परन्तु अभी तक कोई जांच नहीं प्रारम्भ हुयी है। चूकिं यूनिट छोटा है तथा काफी कम संख्या में कर्मचारी हैं तथा सभी एक ही मानसिकता के मिले हुए थे तथा सभी मिलजुल कर फर्जी यात्रा भत्ता ले रहे थे। जिसके बिरूद्ध कारवायी के लिए लिखा गया था।

मोहम्मद शाकिब Sr.DSC ने अगर फर्जी तरीके से यात्रा भत्ता लेकर रेलवे राजस्व के गबन,धोखाधरी,फर्जीगीरी की जांच के लिए मुख्यालय को लिखा तो मुख्यालय स्तर के अधिकारी को अबिलंम्ब रेलवे के निगरानी विभाग को जांच के लिखा जाना चाहिए था,परन्तु अभी तक किसी प्रकार की जांच की शुरूआत नहीं होना भ्रष्टाचार के विरूद्ध कारवायी के प्रति कितने गंभीर है मुख्यालय के उच्च अधिकारी यह पत्ता चलता है। यह भी पत्ता चला है कि एक अधिकारी जिसके बिरूद्ध फर्जी तरीके से यात्रा भत्ता लेने के प्रति शिकायत की गई है उनकी तैनाती मुख्यालय में एक संवेदनशील पद पर है। जहां तक पुलिस में शिकायत की बात है तो उनका कहना उसकी भी कारवायी की जायगी

इस पुरे प्रकरण में अनुशासनिक अधिकारी द्वारा एक बहुत ही गंभीर आरोप आरोपी बरखास्त सिपाही के बिरूद्ध लगाया गया कि उसने अनुशासनिक अधिकारी के साथ धक्का मुक्की की,जो कि काफी गंभीर घटना है तथा इस पुरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए एवं सत्यता का पत्ता लगाकर कारवायी होनी चाहिए। पुरे प्रकरण में कई तथ्य एवं घटनाओं का घालमेल हो चुका है एवं उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए जिससे दोषी को सख्त से सख्त सजा हो चाहे कोई भी हो। इस पुरी घटना को जानने और समझने पर यह पत्ता चलता है मोहम्मद साकिब की बात,रिपोर्ट और कृत्य को मुख्यालय गंभीरता से नहीं लेता। जवान द्वारा मोहम्मद साकिब के साथ धक्का मुक्की करने का आरोप भी यह दर्शाता है कि जवान भी मोहम्मद साकिब को गंभीरता से नहीं लेते। इसका कारण उनका इमानदार होना भी हो सकता है अक्सर इमानदार अधिकारी और जवान को इस तरह से बेईमानों के गुट द्वारा प्रतारित और सताया जाता है उन्हें बदनाम किया और करवाया जाता है ।

यहां मेरा उद्देश्य मोहम्मद साकिब को ईमानदारी का प्रमाणपत्र बांटना नहीं ।यह एक सामान्य धारणा है। इसलिए पुरे प्रकरण की जांच इमानदारी से तथा किसी इमानदार उच्च पदधारी और काबिल अधिकारी से हो,जिसमें यात्रा भत्ता गबन,अनुशासनिक अधिकारी के साथ धक्का मुक्की, नाबालिग अनाथ लड़की को नौकरानी रखने की बैधता, कल्याण और अधिकार का संरक्षण,उसका शारिरिक और मानसिक शोषण करने ,तय प्रक्रिया का पालन हुआ या नहीं जैसे समस्त प्रश्नों की जांच हो तथा जो जिस आरोप में दोषी पाया जाय उसके बिरूद्ध कड़ी कारवाई हो।