दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर में RPF का ट्रेनिंग सेंटर है। जहां वर्तमान में 437 उपनिरीक्षक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
150 कांस्टेबल रिक्रूट आने पर दूसरी जगह विस्तारित प्रशिक्षण संस्थान बनाया गया।
विस्तारित प्रशिक्षण संस्थान को कोरेन्टाईन सेंटर में परिवर्तित कर दिया गया तो वहां के 150 कांस्टेबल रिक्रूट को मूल ट्रेनिंग सेंटर में ले आया गया तथा जगह के अभाव में शस्त्रागार के बरामदे में जिम में मनोरंजन कक्ष में सभी जगह केन्द्रीय सरकार के मानव से मानव की दूरी के निर्देश की धज्जी उड़ायी जा रही है।
सबसे बड़ी बात अधिकांश प्रशिक्षकों को छुट्टी छोड़ दिया गया है।
सूत्र ने घटना की जानकारी इस प्रकार दी।
घटना
दिनांक 18/4/2020 को एक प्रशिक्षक श्री ए.के.सिंह उपनिरीक्षक को छुट्टी से आने के कारण कोरेंटाईन में भेज दिया गया।
उसे सिर्फ इसलिए वापस उसके मूल पोस्ट M. yd. भेज दिया गया।
वापसी का पत्र पढ़िये।
इस पत्र में कई तरह के आरोप लगाये गये हैं।
श्री ए.के.सिंह हावड़ा के शिवपुर से आये थे और हावड़ा क्षेत्र कोरोना प्रभावित है वहां जितनी जांच की गई उसमे करीब 10% सैंपल पोजेटिव पाया गया।
विवाद का कारण
सूत्र ने जानकारी दी न मास्क दिया जा रहा,न सेनेटाईजर,न ग्लब्स, न कोई जांच, न गरम पानी। इससे विवाद बढ़ा तो यहां तक मामला खुला कि कई लोग लॉक डाउन में छुट्टी रेस्ट सीआर में दूसरे प्रदेश व जिलों से घुमकर आये उनको कोरेन्टाईन में नहीं भेजा गया।
वहां भ्रष्टाचार का खेल का आरोप लग रहा। वहीं कुछ लोंगो को जबरन भेज दिया गया।
नियम तो सबके लिए समान है। फिर सवाल उठता है प्रशिक्षण संस्थान में क्यों कुछ कर्मियों को कोरेंटाईन में नहीं भेजा गया? ध्यान देने वाली बात है कि एक ही जिले से दो जवान आये एक कोरेन्टाईन में दूसरा ड्यूटी कर रहा है। ऐसे कई लोग आये जो कोरेन्टाईन में नहीं भेजे गये। मेडिकल में भी नहीं भेजा जा रहा और खुद ही निर्णय कर लिया जा रहा कि किसको कोरेन्टाईन में भेजना है किसको नहीं।
वही यह भी खुलकर आया कि कुछ लोग क्वार्टर से आकर कार्य कर रहे हैं। इसकी भी जांच की जानी चाहिए
कोरेन्टाईन में भेजने के नियम में भेदभाव क्यों?
किसलिए कुछ को भेजा गया और कुछ को नही? जिनको नही भेजा गया किस आधार पर नहीं भेजा गया?
चर्चा है बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। भ्रष्टाचार के बल पर कुछ कर्मी कोरेन्टाईन से बच रहे हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। अगर इस भेदभाव के भ्रष्टाचार से किसी तरह की अप्रिय घटना घटेगी तो उसके लिए कौन होगा जिम्मेवार?
जब कल खड़गपुर में दिल्ली से आये एक आरक्षक जांच में कोरोना पोजिटिव निकला तो पुनः विस्तारित ट्रेनिंग सेंटर में बनाये गये कोरेन्टाईन सेंटर, जहां से श्री ए.के.सिंह को एम यार्ड पोस्ट में वापस कर दिया गया था,में पुनः वापस भेज दिया गया।
DG/RPF को पुरे प्रकरण की जांच करानी चाहिए। कैसे पोस्ट में वापस कर दिया। पुनः कैसे फिर से आमद ले
खड़गपुर मंडल के निरीक्षक ने कोरेन्टाईन निर्देश का किये उलंघन।
दिल्ली से वापस लौटे 26 RPF जवानों की टुकड़ी,जिसमें से एक कोरोना पाजिटिव निकला,के निरीक्षक को खड़गपुर में आवंटित रेलवे क्वार्टर में कोरेन्टाईन का आदेश हुआ था। परन्तु वह निरीक्षक रेलवे क्वार्टर में कोरेन्टाईन के आदेश को धत्ता बता कर अपने फ्लेट मटियाब्रूज चला गया।
कोरोना पाजिटिव निकलने पर उस टीम के सभी सदस्यों की खोजबीन की गई,निरीक्षक खड़गपुर में आवंटित रेलवे क्वार्टर में मौजूद नहीं था। वह बिना आज्ञा कोलकाता चला गया था।
उसने अपनी पैरवी से अधिकारियों से नजदीकी पोस्ट शालीमार में ही कोरेन्टाईन में रहने का आदेश जारी करा लिया। एक सूत्र ने जानकारी दी कि वह वहां भी नाम मात्र का रहेगा और निर्देश को भंग करेगा। जो बरि.मंडल सुरक्षा आयुक्त के आदेश का खुलेआम उल्लंघन कर सकता है,उसको कौन समकक्ष या अधिनस्थ रैंक काबू कर सकता है।
निरीक्षक है तो मंडल सुरक्षा आयुक्त के आदेश का उलंघन कर सकता है। दिल्ली में भी यह निरीक्षक टीम के साथ रहता था या नहीं, उसकी जांच करायी जानी चाहिए।
विभाग क्यों नहीं निरीक्षक के इस अनुशासन हीनता और आदेश उलंघन पर सख्त कारवायी कर रही है।
DG/RPF को पुरे प्रकरण की जांच सख्ती से पुछताछ कर करनी चाहिए कि दिल्ली में लॉकडाउन का उल्लंघन कर कौन कौन RPF बैरेक छोड़कर कहां कहां गया और कहां कहां रहा।
पुरे दक्षिण-पूर्व रेलवे में कोरेन्टाईन किये गये जवानों की एक लिस्ट वायरल है।
पढ़िये।
इस लिस्ट में आद्रा मंडल ,रांची सुईसा,बानो,रेसुब प्रशिक्षण संस्थान के और यहां तक कि SI A.k.singh का नाम भी नहीं है।
प्रशासन सही संख्या क्यों छुपा रही है?
DG/RPF को सख्त कदम कोरेन्टाईन के संबध में उठाने चाहिए। नहीं तो इस तरह की अनुशासन हीनता और भेदभाव से लॉकडाउन और कोरेन्टाईन का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।