RPF/अधिकारी कैसे IPS DG को बनावटी रिपोर्ट भेजकर गुमराह करते हैं- जानिए?

RPF/अधिकारी कैसे IPS DG को बनावटी रिपोर्ट भेजकर गुमराह करते हैं- जानिए?

RPF/अधिकारी कैसे IPS DG को बनावटी रिपोर्ट भेजकर गुमराह करते हैं- जानिए?

कल हमने कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन की स्थिति में RPF/ZTI/खड़गपुर के RPF कर्मियों के द्वारा कंसावती नदी के पास अवैध बालू खनन के दौरान स्थानीय ग्रामीण के द्वारा बंधक बनाने और खड़गपुर लोकल पुलिस थाना द्वारा उद्धार का समाचार प्रकाशित किया था।

 

इसके बाद पावस सिंहा नामक ट्वीटर यूजर ने सभी को टैग कर ट्वीट किया।

जिस पर रेल प्रशासन ने समाचार का प्रिंट भेजकर RPF/ZTI/KGP से जवाब तलब किया।

RPF/ZTI मंदिर में कंस्ट्रक्शन का ठेकेदार अशोक JCB वाला और डम्पर का मालिक के बीच वायरल ऑडियो के बातचीत में भी प्रिंसपल के ही आदेश की चर्चा हो रही थी।

कल के समाचार को पढ़ें और ऑडियो सुने

RPF कर्मियों को अवैध बालू खनन करते गांव वालों ने पकड़ा-थाने को सौंपा-जानिए

इसका दूसरा सबूत वायरल जवाबी पत्र,जो RPF/ZTI/ प्रशासन द्वारा रेलवे बोर्ड प्रशासन को दिया गया है, को देखिये।

 

इस पत्र से स्पष्ट है कि बालू के लिए सक्षम अधिकारी का आदेश था । रिपोर्ट भी सक्षम अधिकारी द्वारा तैयार किया या अपने अधीनस्थ से करवाया गया है।

अब कोई अधिकारी खुद अपने बिरूद्ध कैसे रिपोर्ट देगा। वो अपने को बचायेगा ही और आदेश पालक अधिकारी को भी,क्योंकि अगर आदेशपालक अधिकारी को नहीं बचायेगा तो वो उसका भांडा फोड़ देगा।

अब RPF के अधिकारी कैसे गुमराही वाला रिपोर्ट तैयार करते है और IPS DG को भेजते हैं। वे शायद ऐसे गुमराही वाले रिपोर्ट को विश्वास करते होंगे या ऐसे ही रिपोर्ट बनाने को बोलते होंगे तभी ZTI प्रशासन ऐसी भ्रामक रिपोर्ट भेजने का दुःसाहस कर रहा। अब उपर के पत्र के विश्लेषण से जानिए सच्चाई।

पत्र में लिखा है दो पत्र दिनांक 4/4/2020 और 5/4/2020 को आउटडोर यूनिट से SDO,DL और LRO झाड़ग्राम को पत्र भेजा गया था। जबकि दिनांक 4/4/2020 को शनिवार था और 5/4/2020 को रविवार दोनों का डिस्पैच नम्बर 199 और 200 लगातार है।

स्वभाविक है पत्र संख्या 199 का रिमाइंडर 200 होगा।
शनिवार और रविवार को कार्यालय बंद रहता है,फिर किसको पत्र दिये। इनको डिस्पैच रजिस्टर खाली ही शनिवार और रविवार को मिला। राज्य का कार्यालय बंद है। आवागमन का साधन बंद है। सारे क्रियाकलाप बंद है। फिर किसको दिये। 6/4/2020 को सोमवार था उस दिन कोई पत्र किसी को नहीं दिये, उसी दिन पुरी घटना घटी।

दिनांक 7/4/2020 को 18.00 के बाद ही हम ने समाचार का प्रकाशन किया।

परन्तु जिस इमरजेंसी के लिए शनिवार को पत्र लिखा गया,रविवार को दूसरा पत्र। फिर सोमवार को इनके पत्रानुसार मात्र दो अधिकारी लॉकडाउन में SI S.B.Yadav और ASI R.B.Singh कंसावती नदी में बालु देखने गये थे। परन्तु दोनों बिना बालु लिये वापस आ गये।

फिर इतना ही इमरजेंसी था तो 7/4/2020 को भी बालु क्यों नहीं लाये ?

क्या एक SI/RPF और एक ASI/RPF झोला लेकर बालू लाने गये थे?

सवाल जब दो ही अधिकारी गये थे बालू देखने और न ग्रामीण बंधक बनाया, न पुलिस छुड़ाया फिर ये बात लीक कैसे हो गयी? मामला मात्र सक्षम अधिकारी और ये दो अधिकारी के बीच का था, फिर लीक का सवाल कैसे? पुलिस कैसे बयान दे रही है,जिसे हमने कल छापा था।

प्रिंसपल /ZTI के पत्र को PCSC/SER और IPS DG/RPF इतनी सहजता से स्वीकार कर लेते हैं। क्या इतने बड़े अधिकारियों को कुछ भी बनावटीपन नहीं लगता?

मेरे समाचार में लिखी सारी बात को प्राचार्य का पत्र सही साबित कर रहा।

अगर ग्रामीण नहीं बंधक बनाये, पुलिस नहीं थाने ले गयी तो ये एक लाईन में लिख देते कि सारी बात बेबुनियाद है। परन्तु इन्हें भी डर है कि कहीं मामला बढ़े तो आधा सच आधा झूठ रिपोर्ट रहेगा तो मामला घुमाया जा सकता है।

एक अन्य सूत्र ने जानकारी दी जो इस प्रकार है।
ZTI/KGP में क्वार्टर में रहने वाले कर्मियों से जबरन आवेदन लेकर छुट्टी पर इसीलिए बैठा दिया गया कि आने जाने से प्रशिक्षुओं में कोरोना फैलने का खतरा रहेगा।

सूत्र ने यह भी बताया कि कैंटिन वाले दीपक तिवारी भी बाहरी व्यक्ति हैं। जो कैंटिन में अपने घर से आना जाना कर चलाते हैं। अब ये जांच का विषय है कि कैंटिन अवैध ढ़ंग से दिया गया है या वैध ढ़ंग से। रेल को मकान का और बिजली का भाड़ा मिलता है या नहीं। फुड लाईसेंस है या नहीं कितने दिनों का अनुभव है,वो सब भिजिलेंस जांच में सच्चाई आयेगा।

सूत्र ने यह भी बताया कि वही नहीं एक टेलर मास्टर लगातार कल तक सभी ट्रेनिंज का शरीर को छुकर कपड़े का माप लिया है। उसकी भी जांच की जाय कि वह किस क्षेत्र में रहता है और उस क्षेत्र में किसी जमाती कोरोना संदिग्ध को कोरेंटाईन में भेजा गया है या नहीं।

सूत्र तो यह भी बताया कि दिनांक 4/4/2020 को खुद 6-7 बाहरी मजदूरों के द्वारा प्राचार्य अपनी देखरेख में मंदिर के पास तालाव की साफ सफाई कराये। वहां उपनिरीक्षक प्रशिक्षु भी साफ सफाई कर रहे थे।

ATR में वर्णित सक्षम(Competent) अधिकारी कौन है? उसका रैंक क्यों नहीं वर्णन है। क्या RPF में अक्षम (incompetent) की भी भर्ती होती है,तो वह कौन से रैंक में होता है,उसका रैंक क्या होता है? क्या Competent authority कोई पद है?

DG/RPF को ZTI के सक्षम अधिकारी के बिरूद्ध उच्च स्तरीय जांच करवायी जानी चाहिए। इस जानलेवा कोरोना महामारी में इस सक्षम अधिकारी के लापरवाही से अगर RPF/ZTI/KGP में कोरोना फैल जाये तो कितनी बड़ी तबाही हो सकती है। इसका बिल्कुल अंदाजा नहीं है, इस तथाकथित सक्षम अधिकारी को।

इस लॉकडाउन में ये सक्षम अधिकारी तथाकथित सरकारी निर्देश की धज्जी उड़ा रहे हैं। बालू बिना कौन सा आसमान टूटा जा रहा था? सक्षम अधिकारी से पुछा जाना चाहिए। ट्रेनिंग बंद है,अधिकांश प्रशिक्षक को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया है।

ड्यूटी चार्ट देखें।

कम्प्यूटर में पत्र संख्या 199 और 200 कब टाईप हुआ है समय के साथ सहज ही पता लगाया जा सकता है।

DG/RPF पुरे मामले की जांच दिल्ली की उच्च स्तरीय कमिटी से करवायें। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री भी इसका संज्ञान लें।

रोटी बनाते SI प्रशिक्षणार्थी

जिम में सटसट कर रह रहे प्रशिक्षणार्थी। सोशल डिसटेंसिंग के निर्देश की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

सोशल डिसटेंसिंग का आम जनता को पाठ पढ़ाने वाले DG/RPF को RPF प्रशिक्षणार्थियों पर क्यों नहीं लागू करवाते। जरा बारिकी से जांच करवाने की व्यवस्था करें।

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