प्रधानमंत्री मोदी का संदेश “आपदा(कोरोना काल) को अवसर में बदलिए”। इस संदेश को रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक और पूर्व रेलवे के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त श्री अम्बिका नाथ मिश्रा (F. O. No. 50/21 dated 19/5/21 से लेकर F. O. No. 79/21 dated 22/6/21) ने रॉकेट की गति से करीब1000 (एक हजार) आर पी एफ कर्मियों का स्थानांतरण कर आपदा को अवसर में बदल कर दिखा दिया।

मार्च 2020 से ही भारत समेत पूरा विश्व कोरोना महामारी (COVID-19 Pandemic) से जूझ रहा है। इसी असाधारण जानलेवा स्थिति को ध्यान में रखते हुए रेलवे बोर्ड ने अपने पत्र संख्या E(NG) I-2020/TR dated 12/5/2020 के द्वारा संवेदनशील पदों पर कार्यरत रेलवे कर्मचारियों का आवधिक (periodical) ट्रांसफर पर दिनांक 31/7/2020 तक के लिए पूर्ण रूप से रोक लगा दिया था। जिसे बाद में इसी पत्र संख्या दिनांक 07/8/2020 के द्वारा 31/3/2021 तक एवं दिनांक 31/3/2021 के लिए द्वारा 30/6/2021 तक बढ़ा दिया गया यानि कि 30/6/2021 तक ट्रांसफर पर रोक लगा दिया गया।

परन्तु सेवानिवृत्ति के कगार (इसी महीने सेवा निवृत होने जा रहे है) पर महानिदेशक अरूण कुमार के लिए ये आदेश बज्रपात से कम नहीं था। आखिर IPS जो ठहरे,फिर रेलवे बोर्ड के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए ट्रांसफर पोस्टिंग का एक अजीबोगरीब नियम बनाया जाता है जिस आदेश को पत्र संख्या- 2018/Sec(E)/TR-3/512(Tenure) dated 05/4/2021 के माध्यम से सभी प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त को दिया जाता है। इस पत्र के अनुसार चालू वर्ष के लिए अराजपत्रित आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों के कार्यकाल स्थानांतरण आदेश आरपीएफ स्थापन्न मैन्युअल 2019 के प्रावधान के अनुरूप जारी किए जायेंगे तथा जारी किये गये स्थानांतरण आदेश 1 जुलाई 2021से प्रभावी होंगे। इसमें यह दलील दिया गया कि “स्थानांतरण आदेश को स्थगित किये जाने पर आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों को जुलाई 2021 में स्कूल/कालेज में प्रवेश में समस्या का सामना करना पड़ेगा”। अब महानिदेशक को ही बेहतर मालूम है कि कौन- कौन और कितने आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मी स्कूल/कालेज में प्रवेश लेना चाहते हैं, कहीं ऐसा तो नहीं कि वे उनके बच्चों के बारे में बताना चाहते थे,परन्तु अंग्रेजी में पत्र जारी करने की मजबूरी में कट पेस्ट कर नकल करने में अर्थ का अनर्थ हो गया।


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असलियत तो यह है कितने ही आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों के बच्चों का भविष्य / परिवार को इस Directive-32 revised(clarification) के प्रावधान ने बर्बाद कर दिया है। जुगाड़ु के लिए नियम कानून मायने नहीं रखता,वे आदेश पालन के बाद जुगाड़ लगाकर पुनः अपनी मर्जी के जगह पर तैनात हो जाते हैं। फंस जाते है जो सीधे साधे जो सिर्फ ड्यूटी से मतलब रखते हैं। कुछ का भला भी हो जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि मार्च 2019 के बाद पहली बार महानिदेशक रेसुब ने आरपीएफ कर्मियों की समस्या को अपने संज्ञान में लिया है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। कहावत है “हाथी के दांत खाने को और दिखाने को और” – यहां एकदम सटीक बैठता है। महानिदेशक अरूण कुमार का सेवानिवृत्ति दिनांक 30/6/2021 को होना है और वे अपने सेवानिवृत्ति से पहले जाते जाते अपने खास लोंगो को उनकी मनपसंद जगहों पर पदस्थापित करना चाहते हैं। इसलिए महानिदेशक महोदय ने पत्र संख्या 2018/Sec(E)/TR-3/512(Tenure) dated 05/4/2021 के माध्यम से यह नियम बनाया है ।

महानिदेशक महोदय और प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त के इस कार्यकलाप से सवाल उठता है कि –

° जब हमारे देश में केंद्र की सरकार के साथ साथ राज्यों की सरकार की सारी मशीनरी कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने,कोरोना संक्रमित लोगों के बेहतर उपचार,वेंटिलेटर, आक्सीजन, दवाई, मरीजों के लिए वेड, कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता आदि पर पूरे जोर शोर से कार्य कर रही थी ठीक उसी समय आरपीएफ के महानिदेशक के साथ सभी रेलों के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त, सभी डिवीजन के वरिष्ठ सुरक्षा आयुक्त/सुरक्षा आयुक्त ट्रांसफर पोस्टिंग का खेला खेल रहे थे। कहावत आपने सुना ही होगा – “रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था”। यही हाल हमारे माननीय रेल मंत्री जी का है। एकतरफ रेल मंत्री आरपीएफ कर्मियों के द्वारा कोरोना काल में की गई चुनौतीपूर्ण सेवा भावना की प्रशंसा करते नहीं थकते है वहीं दूसरी तरफ आरपीएफ अधिकारियों द्वारा आरपीएफ कर्मियों को इस कोरोना काल में ट्रांसफर पोस्टिंग (Directive-32) का भय दिखाकर आर्थिक, मानसिक, सामाजिक/पारिवारिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है और मंत्री जी खामोश हैं, चेयरमैन/रेलवे बोर्ड मूकदर्शक बने हुए हैं।

°क्या पूर्व रेलवे के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त द्वारा मई और जून 2021 के दौरान किये गये ट्रांसफर में RPF Establishment Manual-2019 का सही ढंग से पालन किया गया है। क्या वे बता सकते है कि उनके द्वारा कांस्टेबल का तो 12-13 साल लगातार सीटी/क्लस्टर एरिया में काम करने के बाद दूसरे डिविजन में ट्रांसफर कर दिया गया है जबकि बहुत सारे हेड कांस्टेबल/सहायक उपनिरीक्षक 15-25 वर्ष से लगातार सीटी/क्लस्टर एरिया में काम करने के बाद भी उनका डिविजन से बाहर तबादला नहीं किया गया है। किस स्टाफ का हावड़ा, सियालदह के सीटी/क्लस्टर एरिया से इसी डिविजन के ननसीटी एरिया में ट्रांसफर होगा या किस स्टाफ का ट्रांसफर दूसरे डिविजन मालदा, चितरंजन या आसनसोल डिविजन में होगा यह नीति स्पष्ट नहीं है – यह पूर्ण रूप से प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त के विवेक पर है।

° F. O. No. 61/21 dtd. 28/5/21 के द्वारा 45 निरीक्षकों का तथा F. O. No. 62/21 dtd. 28/5/21के द्वारा 10 निरीक्षकों का ट्रांसफर किया गया।
फिर इसी ट्रांसफर लिस्ट में से एक निरीक्षक का ट्रांसफर Modified करके (F. O. No. 71/21 dtd 31/5/21)बनगांव से शक्तिगढ़ कर दिया गया। फिर इसी
ट्रांसफर लिस्ट में से एक निरीक्षक का एक वर्ष का एक्सटेंशन एडुकेशन ग्राउंड पर(F. O. No. 72/21 dtd. 01/6/21) दिया गया। फिर एक बार इसी ट्रांसफर लिस्ट में से 04 निरीक्षकों को एडुकेशन ग्राउण्ड पर 1 वर्ष का एक्सटेंशन (F. O. No. 74/21 dtd. 11/6/21)दिया गया। यह कौन सी खिचड़ी पक रही है? क्या इन निरीक्षकों को मालूम नहीं था उनका ट्रांसफर होना है, क्या इनलोगों ने समय पर एडुकेशन ग्राउंड पर रिटेंशन के लिए आवेदन नहीं किया था, पहले लगातार 8-9 वर्ष हावड़ा डिविजन बिताने वाले निरीक्षक का ट्रांसफर वनगांव से शक्तिगढ़ किस ग्राउंड पर किया गया, क्या इसमें महानिदेशक से अनुमति ली गई थी?

प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त/पूर्व रेलवे श्री अम्बिका नाथ मिश्रा अपने आपको ईमानदार आफिसर समझते है। परन्तु RPF जवानों में एक धारणा है कि स्थानान्तरण का आदेश का अधिकार का सभी DG अपने अपने तरीके से आदेश जारी कर खेला करते हैं। सिर्फ और सिर्फ “खेला” होता है। सब अधिकारी अपने कार्यकाल में इस खेला को खेलकर अधिक से अधिक ट्राफी सजाना चाहते हैं।

ट्रांसफर पोस्टिंग में जो खेला किया गया है , जैसे कि F. O. No. 79/21 dated 22/6/21 के द्वारा 21 लोगों का On request ट्रांसफर किया है लेकिन ग्राउंड क्या है नहीं दर्शाया गया है। सिर्फ Sl. No. 2 में Administrative Ground लिखा है बाकी का ग्राउन्ड नदारत। एक निरीक्षक की पोस्टिंग सिटी एरिया से फिर सिटी एरिया (Sealdah लगभग उसी जगह) किया गया जवानों में चर्चा है कि सारे नियम कानून इस निरीक्षक के पास आकर समाप्त हो जाते हैं। सीटी एरिया में इसकी अवधि जांच का विषय है।

इन विसंगतियों को देखते हुए आखिरकार रेलवे बोर्ड इस कोरोना महामारी काल में भगवान बनकर आरपीएफ कर्मियों की दुःख दूर करने के लिए आगे आया। रेलवे बोर्ड ने अपने पत्र संख्या E(NG) I-2020/TR dated 22/6/2021के द्वारा संवेदनशील पदो पर कार्यरत रेलवे कर्मचारियों का आवधिक (periodical) ट्रांसफर को दिनांक (30/6/21 से बढ़ाकर )30/9/2020 तक के लिए पूर्ण रूप से रोक लगा दिया साथ ही साथ आरपीएफ के उच्चाधिकारियों द्वारा खेला जा रहा ट्रांसफर पोस्टिंग के खेला को जिसका फाइनल 1/7/21 को होना निश्चित था, गंगाजल से धो डाला।

आदेश पढ़े:-

लगता है रेलवे बोर्ड के आदेश को देखते ही आरपीएफ के आलाधिकारियों को साँप सूंघ गया है। तीन दिन बीतने के बाद भी आला अधिकारी खामोश है। इस संबंध में कोई भी आदेश/निर्देश जारी नहीं किया गया है। जिस प्रकार पुरे विश्व के वैज्ञानिक कोरोना का सटीक दवा का अविष्कार/खोज में व्यस्त हैं ठीक उसी प्रकार आरपीएफ के आलाधिकारी रेलवे बोर्ड के इस पत्र के काट में या कहिये कैसे ट्रांसफर पोस्टिंग खेला जारी रखा जाय-विचार मंथन में व्यस्त है। खेला होबे!