दक्षिण पूर्व रेलवे आरपीएफ ट्रेनिंग सेंटर खड़गपुर के प्राचार्य को गार्डेनरीच एटैच कर दिया गया साथ ही प्राचार्य के एक चहेते उपनिरीक्षक को भी। यह घटना काफी चर्चा का विषय है एवं पुरे रेल के जवान काफी हर्षित हैं। ईश्वर को धन्यवाद कर रहे हैं।क्यों है इतनी खुशी जानने की कोशिश करते हैं।
एटैच प्रिंसिपल काफी विवादास्पद रहे हैं। विवादास्पद प्राचार्य के विरूद्ध कई बार शिकायत हुयी मीडिया में मुद्दे ऊठाये गये पर सब टांय टांय फिस्स। पंहूच पैरवी से सब मामला जांच में फिट।जो काम बहुत पहले होना चाहिए था वह काफी देरी से हुआ है। ट्रेनिंग स्कूल जहां से प्रशिक्षण लेकर जवान कर्मक्षेत्र में कदम रखते हैं,विभाग का नाम रौशन करते हैं,वहीं भ्रष्टाचार की सिखलाई मिलने लगे तो जनता क्या महसूस करेगी? देश को कैसी नैतिकता वाला जवान मिलेगा। जो प्रशिक्षु अलग अलग तरीके से भ्रष्टाचार में पैसा देगा,भ्रष्टाचार से पीड़ित होगा ,वह उस दिये पैसे को कर्मक्षेत्र में भ्रष्टाचार के माध्यम से ही वसूलेगा भी।
वसूली का तरीका- ट्रेनिंग में नये बैच को आउटडोर में प्रथम एक सप्ताह जमकर रगड़ों सभी प्रशिक्षु त्राहिमाम करने लगे। फिर बिचौलिए एक्टिव हो जायेंगे। दो चार दलाल किस्म के जवान या अधिकारियों को प्रशिक्षुओं के बीच से चुनकर वर्दी,गार्डेन,मंदिर,रेस्ट,छुट्टी परमिशन के नाम पर वसूली चालू। जवान भी रगराई से बचने के लिए मूंह बंद कर लेते हैं,चलो शारिरिक रगराई से जान तो बचती है,राहत मिलता है। कौन रोज रोज ट्रेनिंग सेंटर आना है?
ट्रेनिंग स्कूल में भ्रष्टाचार की पचासो बार जांच हुयी पर कभी कारवायी लायक कोई सबूत जांच अधिकारियों को नहीं मिलता है, मिलेगा कैसे?जब सबूत को नकारने की मानसिकता पहले से ही बनाकर लीपापोती की मानसिकता पहले से ही बना कर जांच प्रारम्भ हो। ट्रेनिंग स्कूल में मेस,खाने पीने की कैंटिन एवं सामान बेचने की कैंटिंन सबमें भ्रष्टाचार,यहां तक कि पेड़ तक काट कर बेच दिये गये।
टेलर भी भ्रष्टाचार स्त्रोत है,जबरन कपड़ा सिलवाया जायेगा,सबमें कमीशन सेट है।मेस अधिकारी और मैनेजर बनने के लिए सेटिंग गेटिंग होती है कोई रोटेशन नहीं।
इस प्राचार्य के अवधि में उनके चहेते उपनिरीक्षक मेजर द्वारा क्या क्या निकृष्ट कार्य नहीं किया गया? अवैध बालू उठाव में गांव वालों ने पकड़कर लाकडाउन में थाने में सौंपा,किसी तरह मैनेज हुआ। एक महिला कामगार ने उपनिरीक्षक पर गलत आरोप लगाया। पर भ्रष्टाचार की देवी की महिमा से सब लीपापोती। आईभीजी/एस आई बी जांच सब सिर्फ पाप के सबूत को लीपापोती के लीए बने हुए हैं।
सबसे बदनाम उपनिरीक्षक उसका कृत्य की चर्चा चल रही है।
महिलाओं के प्रति उस उपनिरीक्षक का नजरिया एवं कृत्य इतना शर्मनाक की मत पुछें।शायद जांच में कोई निर्भिक बोल दे। जांच कमिटि को प्रशिक्षुओं द्वारा दिये गये फीडबैक को भी खंगालना चाहिए और प्रतिकूल फीडबैक देने वाले का भी बयान दर्ज करना चाहिए।
आरपीएफ प्रशिक्षण केन्द्र खड़गपुर में भ्रष्टाचार की जड़ या स्त्रोत जो उस तरीके को समाप्त नहीं होने देते,वे हैं एक टेलर,एक किराना व्यापारी,एक आरपीएफ के ड्रेस मेटेरियल के दुकानदार,दो चार स्थानीय प्रशिक्षक जो कहीं भी स्थानान्तरण हो प्रशिक्षण के नाम पर वापस प्रशिक्षण केन्द्र में आ ही जायेगे और भ्रष्टाचार का खुला खेल चालू हो ही जायेगा।
ऐसा प्रतीत होता है जैसे वहां रेल सम्पति एवं यात्री क्षेत्र के अपराध रोकने का प्रशिक्षण न देकर कैसे कैसे अलग अलग तरीके से मेस,मंदिर,बगान,तालाव,मछली,ड्रेस,नास्ता, परमिशन,पेड़ पौधे,गिट्टी, बालू, सीक,फीट,आराम देकर,छूट्टी देकर,बाहर घुमने का परमिशन देकर अवैध तरीके से पैसा कमाया जाता है उसका प्रशिक्षण दिया जाता हो।
उपनिरीक्षक प्रशिक्षु से पैसे लेकर छोड़ने एवं लाकडाउन में फंसने पर और मामला उजागर होने पर उल्टे उस प्रशिक्षु को ही घर भेज दिया गया।
वर्तमान घटनाक्रम निरीक्षक ओरियेंटेशन कोर्स के लिए विभिन्न रेलों के करीब 46 निरीक्षक दिनांक 15/2/2021 से 21/3/2021 तक खड़गपुर प्रशिक्षण केन्द्र में प्रशिक्षण के लिए आमद दिये। उनके साथ भी वही व्यवहार हुआ। पर इस बार कोई सवा सेर निकला।
8000/- रूपया एक महीना का सिर्फ एक जवान का मेस खर्च। इस प्रकार जिसके परिवार में कम से कम पत्नी और दो बच्चें हो तो 32000/- सिर्फ खाने पर ये सिपाही ट्रेनिंग में भी लिया जाता था।
उसके बाद भी नाश्ते का स्तर इतना घटिया कि प्राईवेट कैंटिन में अवैध रूप से नाश्ता बेचवाया जाता था और मजबूरी में प्रशिक्षु नाश्ता करते थे। उसका पैसा तैल साबून,हंसूआ खुर्पी,बागवानी, ड्रेस इत्यादि यानि एक महीने की ट्रेंनिंग मतलब पूरे महीने के वेतन या वेतन से ज्यादा स्वाहा। बाल बच्चे के हिस्से भी ट्रेनिंग में स्वाहा।
ट्रेनिंग स्कूल में एक मंदिर है जवान आस्था के नाम पर चंदा देते हैं पर भ्रष्टाचारियों ने उसे भी कमाई का जरिया बना लिया है।
वर्तमान घटनाक्रम- निरीक्षक ओरियेंटेशन कोर्स में प्रथम सप्ताह सारे नियम कानून को ताक पर रखकर खुब आउटडोर में रगड़कर भय पैदा किया गया फिर ड्रेस मंदिर का चंदा इत्यादि का खेल शुरु। प्रशिक्षु इसलिए मान जाते हैं कि चलो इसी बहाने कुछ आऊटडोर क्रियाकलाप में नियम का पालन कर राहत मिलेगा।
मंदिर में चंदा के नाम पर 2000/-रूपया लिया गया। कुछ ने विरोध किया तो पटाने के लिए दिनांक 6/3/2021 और 7/3/2021 को स्पेशल परमिशन से सबको छुट्टी दे दी गई,परन्तु मेस का मिल सबका चढ़ता रहा। बदले में छुट्टी अवधि को सबको उपस्थित दिखाकर जहां रेलवे को दो दिनों का वेतन एवं यात्रा भत्ता के रूप में लाखों का चपत लगाया गया वहीं दो दिनों का मेस का मिल पाकेट में। शर्मनाक! छिः 5/3/2021 के शाम का अगर सीसीटीवी फुटैज खड़गपुर और हावड़ा की जांच की जाय तो सारे सबूत सामने होंगे। उपनिरीक्षक प्रशिक्षु को भी इसी तरीके से छोड़ा गया पर लाकडाउन में फंसने पर मामला उजागर होने पर उल्टे उसे फंसाकर घर भेज दिया गया।बेचारा।
क्या एक प्राचार्य , जो बिना संबधित आईजी के सहमति और संज्ञान के इस तरह का दुःसाहस कर सके। पुरे संस्थान को प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी की तरह अपनी व्यक्तिगत नियम कानून के तहत चलाये । आईजी को पत्ता न हो। आईजी की भी भूमिका एवं भ्रष्टाचार में सहमति की जांच हो उन्होंने क्या कदम उठाया और क्यों नहीं उठाया,जांच कमिटी को जांच करनी चाहिए। जिससे जांच की विश्वसनीयता कायम हो।
यहां तक कि प्राईवेट कैंटिंन पता नहीं वैध रूप से है या अवैध रूप से रेलवे को उस रूम का भाड़ा और बिजली का बिल दिया जा रहा है या नहीं परन्तु उस कैंटिन वाले से क्लीयरेंस लेना पड़ता था।
लूट थी लुट जो जवान खुद लुटेगा उसमें से कुछ अगर कल को रेलवे को यात्रियों को लुटेगा तो दोष किसका। प्रशिक्षण स्कूल में बैठे भ्रष्टाचारियों का।आईजी/डीजी को इसकी जानकारी न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। जवान सवाल उठा रहे हैं? भ्रष्टाचार के प्रति मूंह बंद रखवाने के लिए अनुशासन को हथियार बनाया गया।
जवानों में चर्चा है कि वर्तमान टेन्योर के भ्रष्टाचार की अगर सीबीआई जांच करे तो अरबों रूपये की अवैध कमाई सबकी हिस्सेदारी मिलाकर निकलेगा। चर्चा तो बहुत कुछ चल रहा महकमा में। सूत्र ने जानकारी दी कि चर्चा तो यहां तक है कि भ्रष्टाचार की कमायी से एक उच्चाधिकारी को एक चार चक्का मोटर वाहन भी दिया गया। इस अफवाह की सच्चाई की भी जांच हो। है कोई उच्चाधिकारी जो हाल के वर्षों में चार चक्का वाहन खरीदा है उसके स्त्रोत की पुछताछ हो।
प्रशिक्षण केन्द्र में भाषा का प्रयोग तो मत पुछिये क्या महिला या पुरूष जवान सबके साथ समान “चड्डी से पानी निकाल दूंगा” जैसे जुमले से पाला तो बिना महिला पुरूष के भेदभाव के सामान्य बात है।
आज जो जांचकर्ता आये हैं क्या ये फाईनल लीपापोती करने,आईभीजी /एस आई भी से बड़े स्तर की शिकायत हुयी है या उच्चाधिकारियों को अंदाजा लगा है कि भ्रष्टाचार राष्ट्रीय स्तर का है। सब अलग अलग कयास लगा रहे हैं। पर प्रशिक्षण केन्द्र की जो छबि बिगड़ी क्या ये जांच टीम वापस ला पायेगी?
कैसे हो सुधार!
ट्रेनिंग स्कूल में आऊटडोर ही भ्रष्टाचार के प्रति मूंह बन्द रखने पर अनुशासन और क्रियाकलाप को हथियार बनाया जाता है।सभी जवान को आउटडोर प्रशिक्षक की ट्रेनिंग हो और सभी की बारी बारी से पोस्टिंग हो जिसमें दो वर्ष सहायक प्रशिक्षक के रूप में कार्य करे एवं शेष वर्ष प्रशिक्षक के रूप में। स्थानीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण केन्द्र में एटैचमेंट सख्त रूप से बंद हो।
मेस अधिकारी और मेस मैनेजर प्रत्येक महीने बदला जाय। प्रत्येक मंडल के प्रशिक्षुओं की कमिटी बारी बारी से रोटेशन की तरह मेस का आडिट करें,जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगे।प्रशिक्षण केन्द्र की शिकायत की जांच रेलवे बोर्ड स्तर से हो।