घटना दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर मंडल के अनूपपुर के RPF सीआईबी निरीक्षक राणा प्रताप सिंह की दुष्कर्मलीला अभी चरम पर चर्चा में है।दक्षिण पूर्व रेलवे के कुख्यात कुकर्मी निरीक्षक श्रीनिवास शर्मा कांड के बाद अभी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के निरीक्षक राणा प्रताप सिंह का दुष्कर्म कांड खुब चर्चा में है।सूत्र द्वारा और स्वयं राणा प्रताप सिंह द्वारा दी गई,अपने पक्ष की बचाव वाली जानकारी एवं विभिन्न मीडिया रिपोर्ट द्वारा जो जानकारी उभर कर आयी वह काफी हैरतअंगेज भरा है।

राणा प्रताप सिंह सन 2011 में एक अल्पव्यस्क गरीब लड़की को डरा धमका कर बलात्कार किया,उस समय उनकी पदस्थापना उपनिरीक्षक अनूपपुर आरपीएफ पोस्ट में थी। इसके बाद वहां से स्थानान्तरण हो गया। पुनः प्रोन्नति पाकर निरीक्षक सीआईबी के तौर पर अनूपपुर दुबारा आये। स्थानीय पीड़िता सारी बातें भूलकर सामान्य जिन्दगी जी रही थीं। राणा प्रताप सिंह नामक शैतान निरीक्षक प्रोन्नति पाकर दूसरी पोस्टिंग अनुपपुर आया और सब कुछ भूल कर सामान्य जिन्दगी जी रही पीड़िता को दुबारा ब्लेकमेल कर दुष्कर्म करने लगा,यहां तक कि गर्भपात भी करवाया,कुकर्म का वीडियो भी बना,पीड़िता के साथ मारपीट भी की। नरक बन गये जिन्दगी से तंग आकर पीड़िता ने कानून का सहारा थाने स्तर से ली तो वहां भी मामला रफा दफा करने का प्रयास किया गया और पीड़िता के बैंक एकाउंट में 5 लाख देकर चुप करने का प्रयास किया गया।

पीड़िता ने इस बार चालाकी दिखायी और 5 लाख रूपया ले भी ली और कानूनी कारवायी हेतु न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाई । पांच लाख रूपया देना भी सबूत बना,अब गरीब पीड़िता दुष्कर्मी के दिये पांच लाख से ही मुकदमा लड़ कर सजा दिलाने के लिए कारवायी प्रारम्भ कर चुकी है। इस चालाकी के लिए पीड़िता की जितनी सराहना की जाय उतनी कम है।


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मामला सुर्खियों में आने पर विभाग ने छुपा रूस्तम् सिंगल चेचिस बदन वाले हबस का भूखा ब्लैकमेलर, दुष्कर्मी, कुकर्मी,बलात्कारी,निरीक्षक राणा प्रताप सिंह को बिलासपुर एटैच कर दिया। अब जबकि न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज हो चुका है तो बलात्कारी निरीक्षक राणा प्रताप सिंह फरार हो गया है।

बातचीत के दौरान बलात्कारी आरपीएफ निरीक्षक राणा प्रताप सिंह ने बताया कि महिला कानून की पढ़ाई की है तथा कुछ वीडियो भी बना ली है। सबूत काफी ठोस जुटा ली है तथा 5 लाख रूपया देकर स्वयं दुष्कर्मी निरीक्षक ठोस सबूत मुहैया करा चुका है और अपनी गलती भी खुद ही स्वीकार कर चुके हैं। दुष्कर्मी, बलात्कारी एवं कुकर्मशास्त्र में एम.ए.की डिग्री वाले आरपीएफ निरीक्षक को कानून की डिग्रीधारी पीड़िता से भय लग रहा है। आईपीसी,अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण की कई धाराओं में मामला पंजीकृत होते ही गिरफ्तारी से बचने के लिए कुकर्मी निरीक्षक फरफराते हुए फुर्रररर हो गया है।

RPF में मामला कैसे दबा दिया जाता है,इसका सटीक अपराध कर्मप्रणाली दुष्कर्मी निरीक्षक राणा प्रताप सिंह का है जो पैसे देकर मामला रफा दफा कर देते हैं। तरीका तो वही अपनाया पर हर बात का अपवाद भी होता है। इस बार वह तरीका काम न आ सका। पैसा भी गया और मुकदमा भी दर्ज हो गया।

DG RPF एवं रेलमंत्रालय को ऐसे लं## बहादूर जवानों एवं उच्चाअधिकारियों पर ऐसे निकृष्ट कांड पर तुरंत कारवायी ही नहीं करना चाहिए बल्कि एक आंतरिक व्यवस्था भी बनाना चाहिए,जिससे समय रहते ऐसे लं## बहादूर पर नजर रखा जा सके और विभाग की बदनामी से पहले ही कारवायी कर होश ठिकाने लाया जा सके।