शर्मनाक! पांच हजार महीना रंगदारी टैक्स देने पर मजबूर RPF कूक-जानिए

शर्मनाक! पांच हजार महीना रंगदारी टैक्स देने पर मजबूर RPF कूक-जानिए

शर्मनाक! पांच हजार महीना रंगदारी टैक्स देने पर मजबूर RPF कूक-जानिए

दक्षिण पूर्व रेलवे के आद्रा मंडल में एक RPF पोस्ट है कोटशीला। कोटशीला पोस्ट में RPF जवानों के लिए मेस भी है।

उस मेस में एक नये भर्ती RPF रसोईया सहायक CWC (Constable water Carrier) की पोस्टिंग करीब दो-ढ़ाई वर्ष पहले हुई। जो वहां RPF जवानों के लिए खाना बनाने का काम करता है।

सूत्र ने जानकारी दी कि कुछ दिनों पहले IVG की टीम दक्षिण पूर्व रेलवे के मुख्यालय से आकर इस बात की जांच की थी कि वहां मेस में तैनात RPF CWC निरीक्षक द्वारा भय देकर दिये गये आदेश से प्रति महीना 5000/- रूपया महीना किसी स्थानीय रंगदार को देने पर बाध्य है।

जिसके बाद पुरा मामला RPF कर्मिय़ों में फैला और चर्चा का विषय बन गया।

वह बाहरी व्यक्ति रंगदार माफिया है तथा काफी वर्षों से RPF कर्मियों की बिना वेतन सेवा कर रहा। क्यों कर रहा? बड़ा सवाल।

अगर उसके सेवा के बदले वेतन दिया जा रहा था तो किस फंड से? उसके आय का स्त्रोत क्या? बिना पुलिस भेरिफिकेशन, बिना मेडिकल,बिना वेतन वर्षों से कोई क्यों कार्य करेगा। और इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को न हो ,विश्वास योग्य नहीं।

एक दूसरे सूत्र ने जानकारी दी वह मेस में खाना बनाने का काम करता था,तथा कोयला वगैरह बेच कर अपना मेहनताना निकाल लेता था। यह तो और भी गंभीर मामला हुआ।

जब RPF CWC की पोस्टिंग हुयी तो उस गरीब कर्मी को निरीक्षक ने नौकरी खा जाने का भय पैदा किया, और मजबूर किया कि 5000/- रूपया प्रति महीना उस बाहरी व्यक्ति के हाथ में दे दे। क्यों देने को मजबूर किया? वह उसी समय से प्रत्येक महीने 5000/- रूपया उस बाहरी रंगदार को देते आ रहा है। अभी तक लाख रूपया से ज्यादा ही दे चुका होगा।

महीने महीने पांच हजार रूपया रंगदारी टैक्स देने से RPF रसोईया ने तंग आकर आईजी कार्यालय कोलकाता में लिखित शिकायत कर दी।
जिसकी जांच आईजी कार्यालय द्वारा की गई।जांच के दौरान अपने शिकायत के समर्थन में दो वीडियो भी IVG टीम को मुहैया कराया। सूत्र ने वह वीडियो मुझे भी मुहैया कराया,जिसमें दो सिविल में खड़े व्यक्ति एक दूसरे को कुछ रूपये दे रहें हैं।

दोनों व्यक्ति में देने वाले को RPF cook के रूप में बताया गया। वीडियो का स्क्रीन शाट नीचे देखें।

उसके बाद उसी शिकायत पर पुनः सहायक सुरक्षा आयुक्त बोकारो द्वारा भी जांच की गई।

सूत्र के बातचीत से लगा वह विभाग द्वारा निरीक्षक पर की गई लीपापोती की दिखावटी कारवायी से संतुष्ट नहीं और गरीब RPF CWC से काफी सहानुभूति रखता है एवं उसको न्याय दिलाना चाहता है। सूत्र का कहना था कि निरीक्षक के व्यवहार के प्रति अन्य कर्मियों ने भी उच्चाधिकारियों से शिकायत की है,परन्तु कोई कारवायी नहीं।

सूत्र ने और भी जानकारी दी कि उस मेस में चोरी के कोयले से खाना बनाया जाता है। मेस में रेलवे द्वारा अभी तक गैस की व्यवस्था ही नहीं की गई है।

कोयले की चोरी के बारे में भी दिलचस्प जानकारी दी कि कभी कभार यार्ड में कोयला गाड़ी खड़ी हो जाने पर उससे निकाला जाता है या यात्री गाड़ी से अवैध परिवहन होने वाले कोयले को जप्त किया जाता है। अगर कोयला 100 बोरा जप्त होता है तो 10-15 बोरा दस्तावेज में दिखाया जाता है। बाद बाकी मेस में और अन्य तरीखे से खपा दिया जाता है। ये प्रथा और भी कई इकाईयों में हैँ।

निरीक्षक के बारे में बताया गया कि वह पूर्व में RPF के भिजिलेंस ईकाई में जोन में पदस्थापित था।
वर्तमान आईजी पूर्व में दक्षिण पूर्व रेलवे जोन में डीआईजी के पद पर तैनात रह चुके हैं,उस समय वर्तमान निरीक्षक कोटशीला भी उनके अधीन भिजीलेंस में निरीक्षक रह चुके हैं।

क्या कहता है RPF नियम।

कुक और कहार से संबधित नियम 119.3 आरपीएफ नियम 1987 है।

119.3 The enrolled members of the Force living in barracks shall be provided with steel cots, mattresses, kit boxes and lockers. Wherever twenty or more persons are accommodated in a barrack, cooking utensils for the mess and one cook and one kahar for every twenty members shall be provided.

नियमानुसार जहां बैरेक में 20 या अधिक व्यक्ति रहते हैं,वहां एक रसोईया और एक सहायक प्रत्येक 20 जवानों पर दिया जाना है।

परन्तु यहां अकेले कहार (CWC) की पोस्टिंग की गई है। कोई रसोईयां नहीं,जो नियमानुकूल नहीं लगता। दो व्यक्ति का कार्य एक व्यक्ति करने पर मजबूर है।वही सूत्र ने जानकारी दी कि गार्डेनरीच मेस में क्षमता से अधिक विभागीय कूक तैनात है।

सबसे कम वेतन पाने वाला RPF का नया भर्ती कूक उसमें भी 5000/- रंगदारी टैक्स। वह भी अपना निरीक्षक दिलवाये। ऐसे निरीक्षक पर कठोर कारवायी होनी चाहिए। यह वर्दी वाले विभाग के लिए बहुत ही शर्मशार करने वाली घटना है।

न्याय की मांग है कि गरीब RPF CWC से रंगदारी टैक्स के रूप में बाहरी व्यक्ति को दिलवाये गये सारे रूपये निरीक्षक से उस गरीब CWC को वापस दिलवाने की व्यवस्था विभाग को करना चाहिए। RPF कूक को पैसा वापस मिला या नहीं इस संबध में फिलहाल कोई जानकारी नहीं।

सूत्र द्वारा दिये गये इस शर्मनाक घटना के बारे में हमने संबधित निरीक्षक और बरि.मंसुआयुक्त से सूचना और प्रश्न भेजकर सूचना की पुष्टि या इंकार की प्रतिक्रिया चाही, परन्तु कोई जवाब नहीं मिला।

DG RPF को अभी तक इस मसले पर हुए सभी जांच रिपोर्ट और प्रत्येक पर हुयी कारवायी की जानकारी लेनी चाहिए।

निरीक्षक जांच में दोषी सिद्ध हुआ है या नहीं। अगर दोषी सिद्ध हुआ है तो RPF कूक को पैसे वापस दिलवाने के लिए क्या कारवायी की गई?क्यों नहीं पैसे दिलवाये गये?

निरीक्षक अगर जांच में दोषी पाया गया है तो पीड़ित RPF कूक से पुलिस में मय सबूत एफआईआर या रेलवे के निगरानी विभाग या सीबीआई के भ्रष्टाचार निरोधक ईकाई में क्यों नहीं शिकायत करवायी गई और शिकायत कराने में विभाग द्वारा RPF CWC को सहायता और मार्गदर्शन प्रदान की गई या नहीं सभी बिन्दूओं पर रिपोर्ट तलब की जानी चाहिए |

ये भी पढ़ें – दिल्ली से आये RPF जवानों को एक दिन बाद भेजा कोरेन्टाईन में ,जवानों में भय -जानिए।