घटना दक्षिण पूर्व रेलवे के आरपीएफ ट्रेनिंग स्कूल खड़गपुर की घटना है। उस प्रशिक्षण केन्द्र में प्रत्येक रिक्रूट बैच में भ्रष्टाचार का आरोप लगता है। पर हर बार मामला रफा दफा कर दिया जाता है। उल्टे सारे भ्रष्टाचारी एक होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले को ही फंसा देते हैं। आज तक किसी भ्रष्टाचारी पर कोई कारवायी नहीं हुयी।
भ्रष्टाचार का तरीका:-
प्रशिक्षण केन्द्र में भ्रष्टाचार बड़े ही धूर्त तरीके अंजाम दिया जाता है। मेस में भ्रष्टाचार,ड्रेस में भ्रष्टाचार,कैंटिन के नास्ते में भ्रष्टाचार,पेड़ पौधे में भ्रष्टाचार,यहां तक कि भगवान के नाम पर मंदिर के नाम पर भ्रष्टाचार,किताब कॉपी,बाल्टी झाड़ू के नाम पर भ्रष्टाचार,लूट ही लूट।
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आवाज क्यों नहीं उठती?
बेरोजगारी के युग में काफी मेहनत से नौकरी मिलती है। काफी परीक्षा पास कर प्रोन्नति मिलती है।
अगर कोई आवाज उठायेगा,बिरोध दर्ज करने की कोशिश करेगा तो सधे हुए तरीके से एक्स मैन(जो लोग सेना से सेवानिवृत्ति होकर पुनः भर्ती हुए हैं) वे सामान्य युवाओं को नौकरी की महत्ता उच्च नीच समझा कर डरा देंगे। ग्राउंड में दौड़ का राउंड बढ़ जायेगा।पैरेड में आराम नहीं मिलेगा। इंडोर क्लास में झपकी लेने पर डिफाल्ट किया जायेगा,बात बात पर पी.डी दी जायेगी। जिसमें दोपहर में खाना खाकर तुरंत ग्राउंड में दंड भुगतें। कॉपी की जांच काफी कड़े होकर की जायेगी,परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों को नहीं बताया जायेगा। रिक्रूट हैं तो अनुशासनहीनता में बरखास्त कर दिया जायेगा। फेल कर दिये जाओगे इत्यादि इत्यादि।
अगर प्रोन्नति कोर्स वाले हैं तो भी चुप, क्योंकि प्रोन्नति परीक्षा पास करनी है। भ्रष्टाचार को बरदाश्त करने, मौन रहने के बदले शारिरिक कठोर मेहनत में थोड़ी राहत मिलती है।
वर्तमान मामला
प्रशिक्षण केन्द्र में उपनिरीक्षक रिक्रूटों के साथ हो रहे भ्रष्टाचार से स्थायी आरपीएफ कर्मी ही नहीं बल्कि वहां काम करने वाले मजदूर तक काफी व्यथित हैं,अचंभित हैं।
वर्तमान घटनाक्रम
हमारे पास एक सूत्र ने संपर्क साध कर सूचना दी कि DG के आगमन से पूर्व प्रत्येक उपनिरीक्षक रिक्रूट से एक बड़ी राशि की उगाही की गई। सूत्र ने जो लिखा वह हू ब हू यहां दिया जा रहा है।
सूत्र ने सबूत मांगने पर जानकारी दी कि सभी रूपये एक दो ही दिन में ही निकाले गयें हैं। 434 उपनिरीक्षक प्रशिक्षु क्यों एक ही दिन एक समान राशि निकालेंगे। ये तो बैंक एकाउंट के जमा-निकासी विवरण से पत्ता चल जायेगा।(कुछ बिचौलिया) को राशि माफ भी रहती है और कुछ के पास पहले से कुछ राशि पास में मौजूद रहने के कारण कम या ज्यादा की निकासी भी हो सकती है,पर अधिकांश एक समान राशि निकालें हैं।)
चूकि सूत्र नया था तो हमने इस सूचना की पुष्टि अपने अन्य सूत्रों से की और अन्य माध्यमों से बातचीत को हासिल कर सूचना की पुष्टि की तो सभी ने हां में हां मिलायी।
एक सूत्र का दावा तो यहां तक है कि अगर 434 उपनिरीक्षक रिक्रूट के बैंक एकाउंट से निकासी का दावा झूठा निकला तो मेरे नाम का खुलासा कर देंगे। परन्तु शर्त जांच दिल्ली से उच्च स्तरीय है और सभी का बैंक स्टेटमेंट निकले।
उपरोक्त सूचना में मेस के उगाही के साथ प्राचार्य पर आरयूपी का मुकदमा का भी जिक्र किया गया है।
हमने सूत्र के दावे के आधार पर हू ब हू स्क्रीन शॉट PCSC को भेजा। पर मौन।
पुनः ट्वीटर पर भेजा -मौन,पुनः दुबारा भेजा
इस बार शिकायत दर्ज हुयी और जांच उसी अधिकारी को दिया गया जिसपर आरोप था।
आश्चर्य जांच रिपोर्ट जो ट्वीटर पर अपलोड की गई उस पर हमे ब्लॉक कर दिया गया। जिससे हम उनके जवाब को देख न सकें।
इतने घबराये हुए हैं।
ब्लॉक का स्क्रीन शॉट देखें।
अब आप ट्वीटर पर शिकायत पर ट्वीटर पर दिये गये जवाब का स्क्रीन शॉट देखें जो हमे सूत्र ने मुहैया कराया।
अब आप देंखे ट्वीट की शिकायत पर एक रिपोर्ट को अपलोड किया गया है और दूसरा लिखकर ट्वीट किया गया है,जो बात लिखी गई है। वह रिपोर्ट में नहीं लिखी गई है।
शिकायतकर्ता से कैसे बात करते हैं। उससे संबधित समाचार पढ़ें:-
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अपलोड रिपोर्ट में लिखा है कि सभी 434 उपनिरीक्षक रिक्रूटों का बयान लिया गया सभी ने इंकार किया। वहीं लिखित में कहा गया है कि रेंडम पिक्ड(अनियमित रूप से चुनकर) मंडल सुरक्षा आयुक्त खड़गपुर द्वारा चुनकर कुछ कैडेट की एकाउंट की जांच की गयी तथा आरोप वैसा नहीं पाया गया।
सवालः-
◆जांच दिल्ली की टीम से क्यों नहीं करवायी गई।
◆जब 434 उपनिरीक्षक रिक्रूट का बयान लिया गया तो सबका पासबुक क्यों नहीं जांच किया गया।
◆निरीक्षक श्री ओ.पी.गढवाल और श्री एम.एस.दान ने डरा कर मंदिर में बयान लिया।दोनों प्रचार्य के अधीन हैं।
◆ क्या रेसुब के उच्च अधिकारियों को आरोप लगाने वाले विभागीय सूत्र के नाम को जानने की उत्सूकता नहीं है?
◆सूत्र का दावा दिल्ली की उच्च स्तरीय टीम जांच करें। सभी का बैंक डिटेल की जांच हो और दावा गलत निकले तो सूत्र का नाम सार्वजनिक कर सकते हैं। इतनी बड़ी चुनौती
◆ बयान तो 434 रिक्रूटों का लिया गया और एकांउट रेंडम पिक्ड,वाह रे जांच प्रणाली जिसपर आरोप अपने विरूद्ध स्वयं जांच करे।
◆रेसुब नियम 1987 के नियम 248 के तहत किसी सिक्योरिटी कमिश्नर के बिरूद्ध जांच प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त या उनके द्वारा नामित मुख्य सुरक्षा आयुक्त या उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त (वरीय सुरक्षा आयुक्त) द्वारा किया जा सकता है। प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त या उपर का पद किसी भी प्रकार से जैसे महामहिम राष्ट्रपति/राज्यपाल को छूट मिली हुयी है वैसे ही आरपीएफ रूल में छूट मिली है,क्योंकि कोई जिक्र ही नहीं
आरपीएफ नियम देखिये:-
अब आप देखें एक सुरक्षा आयुक्त के बिरूद्ध नियम को ताक पर रखकर स्वयं वही अधिकारी और थोड़ा दूसरा समकक्ष मंडल सुरक्षा आयुक्त जांच करता है। जबकि सूत्र की मांग दिल्ली की उच्च स्तरीय अधिकारियों से जांच हों और सभी 435 उपनिरीक्षक प्रशिक्षुओं के बैक लेन देन विवरण की जांच हो।
सूत्र के दावे पर हमने भी ट्वीट कर DG/RPF को चुनौती दी कि आप सूत्र के बताये अनुसार सबूत जुटायें और आरोप झूठा साबित हो तो सूत्र का खुलासा कर दूंगा आप विभागीय जांच और सख्त कारवाइ सूत्र पर कर सकते हैं। पर मौन!
सबसे बड़ी बात ट्रेनिंग में प्रवेश से लेकर ट्रेनिंग के पासिंग आउट के बीच के सभी ट्रेनिज के बैंक निकासी की जांच की जाय तो पत्ता चल जायेगा कितना भ्रष्टाचार होता है। क्योंकि ट्रेनिज तो कैंपस में रहते हैं और सारा सामान कैंपस में ही खरीदते हैं। हिसाब तुरंत पत्ता चल जायेगा भ्रष्टाचार का। अब जो स्वयं भ्रष्टाचार का शिकार होगा वह भ्रष्टाचारी बने तो किसका दोष?
अगला अंक RPF मेस में भ्रष्टाचार,कैसे निम्न स्तर का खाना,दूध में पानी देकर प्राईवेट कैंटिन वाले के पास जाने पर अपरोक्ष मजबूर किया जाता है। ट्रेनिंग स्कूल के विभागीय कैंटिन को दरकिनार कर प्राईवेट व्यक्ति से सामान खरीदवाना और बेचवाना वाला भ्रष्टाचार के बारे जानिए।
डेली भंडाफोर का मिशन- “अच्छा कार्य करेंगे, हम गुणगान करेंगे,भ्रष्टाचार करेंगे, हम बेनकाब करेंगे”