दक्षिण- पूर्व रेलवे के रांची मंडल के रेलवे सुरक्षा बल के मंडल सुरक्षा आयुक्त पर आरोप लगाते हुए एक वीडियो बड़ी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल है। जिसमें एक व्यक्ति राम रतन शाह ने मंडल सुरक्षा आयुक्त पर रेलवे क्लब में जबरन ले जाने मारपीट करने और पैसों की उगाही का आरोप लगा रहा है।
इस संबध में आरोपी के बिरूद्ध जो जानकारी मिली है वह महाठग नटवर लाल से कम नहीं है,जो कितने बेरोजगारों को नौकरी दिलाने,ठेका दिलाने के नाम रेलवे में उच्च अधिकारियों से घनिष्ठ संबध एवं पैरवी का लालच देकर ठगा।
आखिर एक ठग कैसे राजपत्रित अधिकारी डीएससी/रेसुब श्री प्रशान्त कुमार से घनिष्ठ संबध बनाने में कामयाब हुआ।
इस संबध में गोपनीयता की शर्त पर एक सूत्र ने जानकारी दी कि इस व्यक्ति का रांची के पूर्व सहायक मंडल रेल प्रबंधक के साथ काफी परिचय एवं घनिष्ठता था,उन्हीं के पास आने जाने के क्रम में डीएससी श्री प्रशान्त कुमार का भी परिचय हो गया। चुकिं सहायक मंडल रेल प्रबंधक के साथ कोई नटवर लाल का उठना बैठना हो सकता है,ऐसी आशा कोई नहीं कर सकता। एडीआरएम का नजदीकी समझ कर डीएससी ने भी ज्यादा खोजबीन नहीं की एवं चेम्बर में आने से मना नहीं कर पाये।
जबकि ठग राम रतन शाह बाहरी लोगों को नौकरी दिलाने या ठेके दिलाने का लालच देकर डीएससी से कार्य करा देने के लिए शिकार को विश्वास दिलाता था कि मैं डीएससी के पास तुम्हारे सामने गया,जबकि वह भीतर जाकर मंडल सुरक्षा आयुक्त को यह कहता कि इधर से गुजर रहा था तो आपका दर्शन करने चला आया।
ठगी के शिकार व्यक्ति तो यही समझते थे कि यह व्यक्ति सचमुच काम करा देगा,बहुत पैरवी वाला है। बिना रोक टोक मंडल सुरक्षा आयुक्त के चेम्बर जाता है।
हाल फिलहाल अचानक कई लोग डीएससी के पास काम नहीं होने एवं काम के एवज में ठग राम रतन शाह को डीएससी के नाम से पैसे देने की शिकायत की तो डीएससी भौचक रह गये।
इसके बाद आरोपी राम रतन शाह को बुलाया गया एवं शिकायतकर्ता से आमना सामना करा कर नौकरी,ठेका,रिवाल्वर का लाईसेंस इत्यादि बनाने के नाम लिए डीएससी का नाम बेचकर पीड़ितों से लिए गये पैसे को डीएससी ने लौटाने को कहा । जिसमें से कुछ को लौटाया तथा कुछ पीड़ित ने लिखित में राशि प्राप्ति को स्वीकार किया।
इस संबध में आश्चर्यजनक बात यह है कि कुछ (दो-तीन) बेईमान किस्म के रांची आरपीएफ के ही अधिकारी इस मामले को बढ़ा चढ़ा कर एक बाहरी फर्जी पतलचाट के माध्यम से इस मामले में ठग राम रतन शाह की मदद कर रहें हैं। उनकी भी भूमिका की जांच हो। संभावना है उनकी भी इस ठगी कांड में मिली भगत हो,इसीलिए अपना भांडा फुटने के डर से मामले को उल्टा और दूसरा रूप देकर असल घटना से ध्यान भटकाने की कोशिश की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
बड़ा सवाल:-
- भूतपूर्व एडीआरएम की कितनी संलिप्तता है?
- कैसे एक बाहरी व्यक्ति एडीआरएम के चेम्बर में बैठता था?
- क्या किसी और अधिकारी के नाम पर इस ठग ने पैसे तो नहीं वसुले?
- ठग राम रतन साह का आय का स्त्रोत क्या है?
- रेलवे क्वार्टर में कैसे घुस पाया?
- रेलवे क्वार्टर में संबधित विभाग द्वारा मेमों देने के बावजूद किसके दबाव से रेलवे क्वार्टर से निकालने के लिए कठोर कदम नहीं उठाया?
- भूतपूर्व एडीआरएम की भूमिका की जांच हो?
आरपीएफ विभाग को महाठग राम रतन साह पर कठोर कानूनी कारवाई करवाना चाहिए एवं सभी पीड़ित को सामने आना चाहिए एवं शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। अभी तक ठगी के शिकार चार पांच पीड़ित सामने आ चुके है।
RPF विभाग को भी आंतरिक जांच कराना चाहिए कि कुछ भ्रष्ट निरीक्षक क्यों ठग राम रतन शाह को मदद करना चाह रहे हैं। ठग राम रतन शाह से उनका क्या संबध है? विभाग की, कानून की, या पीड़ित की मदद के जगह आरोपी और ठग की मदद करना चाह रहे हैं।
पुरे मामले की निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए एवं दोनों पक्ष के आरोप प्रत्यारोप की गहनता एवं निष्पक्षता से जांच कर सत्य का अनुसंधान हो और सभी दोषियों पर कठोर कारवाई होनी चाहिए।