ये रोचक मामला दक्षिण पूर्व रेलवे के आद्रा मंडल के कोटशीला रेलवे स्टेशन अवस्थित वरीय खंड अभियंता (लौहपथ) इकाई में कार्यरत एक ट्रेक मेंनटेनेंस महिला कर्मी से संबधित है।
महिला की नौकरी अवधि लगभग तीन वर्ष ही हुई है। महिला शादी शुदा है बाल बच्चेदार है परन्तु पति से अलग है एवं तलाक का मुकदमा लगभग सात आठ वर्ष से चल रहा है।
रेलवे की नई नौकरीवाली महिला का परिचय कोटशीला स्टेशन में अन्य विभाग में कार्यरत अपने से 15-16 वर्ष के अन्य रेलवे कर्मी से हुआ। पति से अलग रहनेवाली महिला भी अकेली आवंटित रेलवे क्वार्टर में रहती है एवं अन्य विभाग के पुरूष सहकर्मी, जिससे मित्रता है, को लेकर महिला के प्रभारी को काफी आपत्ति है।
महिला के संबधी ने हमसे संपर्क साधकर शिकायत की,जिसके आधार पर हमने जांच पड़ताल की एवं जांच में जो तथ्य आये वह काफी हैरतअंगेज एवं रेलवे अधिकारियों की मध्ययुगीन मानसिकता को दर्शाता है।
महिला के प्रभारी वरीय खंड अभियंता रेलपथ श्री संजय कुमार है, उन पर आरोप है कि वे महिला को प्रभावित करने का प्रयास करते थे। महिला को काम के बाद भी मोबाईल पर फोन करना,उससे यह कहना कि तुम हमारे गांव तरफ की हो,तुमको पैसे कौड़ी की जरूरत हो तो बताना,लड़की की शादी करोगी तो मैं रूपये पैसे सहायता करूंगा इत्यादि इत्यादि। ये वरीय खंड अभियंता श्री संजय कुमार का दिखावटी चेहरा/मुखौटा था। परन्तु श्री संजय कुमार इस मायावी शुभचिंतक वाले चेहरे को सीढ़ी बनाकर अपनी छुपी हुई कुत्सित लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते थे। एक तरफ वे मेट को परेशान और मेहनत वाली ड्यूटी पीड़ित महिला को लगाने को बोलते दूसरी तरफ सहानुभुति जताते की कोई परेशानी हो तो बेहिचक बताना।
प्रभारी श्री संजय कुमार की सबसे बड़ी आपत्ति महिला का दूसरे विभाग के पुरूष सहकर्मी से बातचीत,उसकी सहायता करना,महिला के घर आना था जो उनको हजम नहीं होता था।उस पुरूष शुभचिंतक के विरूद्ध महिला को कान भड़ना,शिकायत करना कि वह अच्छा लड़का नहीं है,क्यों दूसरे विभाग के लड़के के साथ मिल रही हो इत्यादि इत्यादि। जब महिला ने विरोध किया कि क्या दूसरे विभाग के कर्मी से बातचीत करना एक दूसरे के घर आना अवैध है,तो काफी गलत बातें उस रेलवे कर्मी हितैसी लड़के के बिरूद्ध बोलकर विभाग की बदनामी की बात महिला को प्रभारी बोलते थे। वरीय खंड अभियंता रेलपथ इन सब बातों को बोलकर वे स्वयं को महिला का शुभचिंतक का मायावी रूप धारणकर अपनी गंदी और कुत्सित उद्देश्य को पुरा करना चाहते थे जिसमें वे असफल हुए तो साजिश रचने लगे।
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साजिश के तहत कालोनी में एवं अन्य विभाग जिसमें पुरूष कर्मी के परिचालन विभाग भी शामिल है में महिला के चरित्र पर सवाल उठाया गया। बदनाम किया गया। फिर दूसरे विभाग के पुरूष मित्र के साथ अवैध संबध का अफवाह उड़ा कर बदनाम किया गया। सधे हुए तरीके से सारे कुत्सित मानसिकता वाले कर्मी इकट्ठे होकर एक योजना बद्ध तरीके से दूसरे विभाग के लड़के को बदनाम कर परेशान कर और सामुहिक शिकायत कर दूसरे जगह स्थानान्तरण करा दिये।
इस संबध में साजिश के तहत सधे हुए तरीके से उस पुरूष रेलवे कर्मी को पुलिस में शिकायत की गई,उस लड़के को पुलिस पकड़ कर ले गई। परन्तु संभावना है कोई मामला न बनता देख पुलिस पीआर बोंड भरवाकर छोड़ महिला के पुरूष शुभचिंतक को छोड़ दिया।
पुलिस में जेल भेजवाने में असफलता लगने पर पर कालोनी के कुछ उसके सहकर्मी
उस लड़के के दुश्मन हो गये। उसके कुछ सहकर्मी ही उसके क्वार्टर पर वक्त वे वक्त दरवाजा खटखटाना जिसके कारण झगड़ा हुआ और उस पुरूष ने गाली गलौज भी की।
इसते से भी बात नहीं बनी तो मंडल के उच्चाधिकारियों को सामुहिक शिकायत कर औचक रूप से उस पुरूष सहकर्मी को दूसरे स्टेशन में स्थानान्तरण करा दी।
इस संबध में मेरे पास एक ऑडियो आया जिसमें परिचालन विभाग में कार्यरत उस पुरूष कर्मी के प्रभारी किसी नेता से बड़ी बड़ी डींग हांकते हुए उस पुरूष कर्मी की शिकायत कर रहे कि पुलिस जब उसे पकड़ कर ले गया तो काफी कुछ रेकार्डिंग उसके मोबाईल से मिला।वगैरह वगैरह
इस संबध में हमने अपने स्तर से छानबीन की तो पता चला कि पुरूष कर्मी दिलफेंक प्रवृति का है तथा कई महिलाओं से उसकी दोस्ती बातचीत रही है। जिसके कारण उसके सहकर्मी जो कोई महिला मित्र नहीं बना पाते थे जलते थे,ईर्ष्या करते थे।
वहीं कुछ का कहना है कि पुरे मामले में वरीय खंड अभियंता रेलपथ श्री संजय कुमार की साजिश है वो खुद उस महिला पर कुदृष्टि रखते हैं,उसके साथ ऐसा व्यवहार करते थे जैसे वह उनका गुलाम हो।जिसमें यह लड़का बाधक बन रहा था । प्रभारी श्री संजय कुमार का हर मायावी शुभचिंतक रूप,मधुर वाणी और सम्मोहिनी विद्या महिला पर ,उस लड़के के कोटशीला में रहते, निष्प्रभावी सिद्ध हो रही थी।
इसीलिए माहौल बनाकर और सभी को लोभ देकर कि इस लड़के का स्थानांतरण हो जाने पर यह पति से अलग अकेली महिला आसानी से कब्जे में आ सकती है।
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इस संबध में हमने वरीय खंड अभियंता रेलपथ श्री संजय कुमार से संपर्क स्थापित किया तो उन्होंने महिला के संबधी द्वारा लगाये गये सारे आरोप को बेबुनियाद और बकवास बताते हुए स्वीकार किया कि
वे महिला से ड्यूटी टाईम के बाद भी फोन सिर्फ मदद के उद्देश्य से करते थे।
महिला को परिचालन विभाग के पुरुष मित्र से दूर रहने के लिए इसलिए कहते थे कि वह दूसरे विभाग का कर्मचारी था।
यह महिला मेरे गांव के नजदीक की है,जिसके कारण इसकी सहायता करता था। सहायता के क्रम में महिला की लड़की की शादी में सहायता के लिए भारी राशि की भी पेशकश की थी।
उस लड़के (परिचालन विभाग वाला) से महिला को भी दूर रहने को कहा था,समझाया था कि दूसरे विभाग के पुरूष कर्मी से मत मिलो।
बड़ा सवाल:-
क्या किसी 40 वर्षीय महिला रेलवे कर्मी जो रेलवे के किसी दूसरे विभाग के पुरुष से मित्रता करती है वह क्या कानूनन अपराध है? रेलवे के किस आचरण संहिता/कानून/नियम/आदेश/निर्देश एवं भारतीय दंडात्मक कानून के किस अपराध की श्रेणी में परिभाषित है?
अगर पुरूष मित्र बहुत खराब था तो आज ही क्यों उसकी 8 वर्ष की सेवाअवधि में पहले क्यों नहीं किसी ने कोई शिकायत की और कोई कारवायी की गई?
इस महिला कर्मी को लड़की की शादी में बिना मांगे सहायता के नाम पर पैसे की पेशकश करना श्री संजय कुमार की किस उद्देश्य एवं मानसिकता को दर्शाता है?
क्या पुरूष कर्मी के स्थानान्तरण के बाद महिला कर्मी द्वारा सीधे उच्चाधिकारियों को दूसरे जगह स्थानान्तरण (पंसदीदा तीन जगह में से कोई एक जगह जिसमें लड़के का स्थानान्तरण जगह नहीं है) लिखकर देना महिला की असुरक्षित मानसिकता को दर्शाता है।
क्या रेलवे के राजपत्रित अधिकारीगण मध्ययुगीन मानसिकता वाले है,जिसमें एक ही रेलवे के दो अन्य विभाग के महिला और पुरूष कर्मी आपस में बातचीत तथा एक दूसरे के क्वार्टर में आना जाना नहीं कर सकते।
वरीय खंड अभियंता रेलपथ किस हैसियत किसी महिला कर्मी को सलाह देते थे कि किससे मिलो किससे बात करो किससे मत मिलो,महिला को अपने क्वार्टर में काम के लिए बुलाना,क्या ये उनकी ड्यूटी में आता है?
क्या रेलवे के उच्चाधिकारियों ने पुरे मामले की जांच कराना उचित नहीं समझा?
क्या जिस मामले में पुलिस को कोई अपराध नहीं नजर आया उस मामले में रेलवे के उच्चाधिकारियों को अपराध नजर आ गया।
उस सामुहिक शिकायत में कितने शिकायतकर्ता असली और कितने फर्जी हैं उसकी जांच क्यों नहीं की गई?
उन शिकायतकर्ताओं से पुछना चाहिए कि कौन सा अपराध किया है और जो भी आरोप लगाया है उसका सबूत क्या है?
शिकायतकर्ताओं से पुछना चाहिए कि जब अपराध हो रहा था उस समय क्यों नहीं खबर की?
क्या सुनी सुनाई बात और अफवाह के आधार बिना किसी ठोस सबूत के किसी पर कारवायी किया जा सकता है। किसी महिला का चरित्रहनन किया जा सकता है। भविष्य में अगर रेलवे के कर्मी अफवाह पर किसी की मोब लींचिंग कर दे तो रेलवे के ये अधिकारी भीड़ को ही सही साबित कर देंगे। आखिर संविधान और कानून भी कोई चीज है या भीड़ का जंगली कानून रेलवे में पालन होता है।
भविष्य में महिला के साथ छेड़छाड़ हो,अश्लील हड़कत हो और ये सब करने करने वाला वही सामुहिक शिकायत कर्ता हो तो वह बचाव में अपना पक्ष बोलेगा की मैंने महिला के बिरूद्ध शिकायत की थी,इसीलिए बदले की भावना से महिला झूठा आरोप लगा रही है।
भविष्य में महिला को उस सामुहिक शिकायत के आधार पर ब्लेकमेल भी किया जा सकता है।
विभागीय अधिकारी क्या पुरे मामले की जांच करेंगे। क्या महिला रेलकर्मी की प्रतिष्ठा को जांच कर वापस किया जायेगा।
इस संबध में हमने Sr.DEN(Cor.) और Sr.DOM आद्रा के व्हाट्सएप नम्बर पर समाचार का ड्राफ्ट भेजकर प्रतिक्रिया मांगी,पर मौन!
डेली भंडाफोर का मिशन- “अच्छा कार्य करेंगे, हम गुणगान करेंगे,भ्रष्टाचार करेंगे, हम बेनकाब करेंगे।”