पूर्व मध्य रेलवे के धनबाद मंडल के गोमो पोस्ट का एक ऐसा अजीबोगरीब मामले के बारे में आपको जानना चाहिए। RPF निरीक्षक ने फोन पर बातचीत और ट्वीटर पर निरीक्षक के बिरूद्व शिकायत करने पर शिकायतकर्ता के बिरूद्ध रेलवे एक्ट में मुकदमा कायम कर दिया।

पुरा मामला करीब एक साल पुराना है। गोमोह पोस्ट प्रभारी के मोबाईल पर एक व्यक्ति श्री असीम कुमार सामन्तों के द्वारा दिनांक 5/6/2019 को काल कर एक सिपाही की पैरवी की जाती है एवं किसी उच्च अधिकारी के बिरूद्ध कुछ गलत बातें भी श्री सामन्तों के द्वारा कही जाती है। निरीक्षक के मोबाईल में पुरी बातचीत रेकार्ड हो जाती है,जिसे निरीक्षक द्वारा वायरल किया जाता है। दो व्यक्तियों के बीच की बातचीत को जिसमें एक अधिकारी के बिरूद्ध गलत बातें की जाती है,निरीक्षक द्वारा जानबुझकर वायरल कर उस अधिकारी की प्रतिष्ठा को धूमिल किया जाता है।

इसके बाद 22/7/2019 को श्री असीम कुमार सामंतो के द्वारा एक ट्वीट कर गोमोह में आरपीएफ निरीक्षक के मिली भगत से अवैध भेंडिंग चलने की शिकायत की गई। निरीक्षक ने अपने विरूद्ध शिकायत की खुद जांच कर खुद को क्लीन चिट ले लिए। इसमें वह CTI का भी सहारा लिए।
देखें शिकायत पर CTI का रिपोर्ट

इसके बाद दिनांक-26/7/2019 को कांड संख्या-126/19 अपराध रेलवे एक्ट की धारा-145/146 के अपराध का मुकदमा कायम किया गया एवं धनबाद रेलवे न्यायालय में शिकायत दर्ज किया गया।
देखें शिकायत की प्रति

निरीक्षक/RPF द्वारा खुद को दिया गया रिपोर्ट

सर्वप्रथम इस कांड के तथ्य और आरोप का विश्लेषण-

इसमें बातचीत की घटना घटी 5/6/2019 को। घटना के करीब 50 दिनों तक कोई मुकदमा RPF गोमोह द्वारा दर्ज नहीं किया गया,सिवाय वायरल कर आरपीएफ के बरिष्ठ अधिकारी के प्रतिष्ठा को धूमिल किया गया। न लिखित में उस अधिकारी को,जिसके विरूद्ध गलत बातें बोली गयी, संज्ञान में दिया गया और न एफआईआर की गई । सबसे बड़ी बात निरीक्षक उस लम्बी बातचीत में एक बार भी बिरोध नहीं किया कि आप ऐसा गलत बात नहीं बोल सकते।

दूसरी घटना घटी 22/7/2019 को ट्वीटर पर श्री असीम कुमार सामन्तो द्वारा शिकायत की गई। जिसमें आरोप लगाया गया कि निरीक्षक के मिलीभगत से अवैध हाकर चलता है। पब्लिक शिकायत होने के कारण आरपीएफ नियम 248 के अनुसार सुरक्षा आयुक्त को इस शिकायत की जांच करनी चाहिए थी। परन्तु जिसके विरूद्ध शिकायत की गई उसी को अपने विरूद्ध जांच करने को दे दिया गया।

इस शिकायत के बाद निरीक्षक ने बदले की भावना से अधिकार का दुरूपयोग कर संवैधानिक अधिकार और स्वतंत्रता का अवैध हनन करने के उद्देश्य से शिकायतकर्ता श्री सामन्तो के विरुद्ध मुकदमा कायम किया । वह भी न्यूसेंस और ड्यूटी में बाधा उत्पन्न करने का आरोप लगाकर।

जबकि दोनों ही धाराओं में वर्णित अपराध श्री सामन्तो के बिरूद्ध नहीं बनता है। इसमें निरीक्षक/RPF पर ही मुकदमा बनता है। इसमें शिकायतकर्ता, गवाह, जांचकर्ता, अभियोजनकर्ता सभी एक ही व्यक्ति श्री आर.आर.सहाय निरीक्षक आरपीएफ हैं।

श्री असीम कुमार सामंतो कभी भी निरीक्षक के आमने सामने नहीं हुआ। सर्वप्रथम मोबाईल पर बातचीत में श्री सामन्तो निरीक्षक के आमने सामने नहीं थे। निरीक्षक के किस ड्यूटी के निर्वहन में बाधा पैदा किया, उसका जिक्र उन्होंने नहीं किया है?

मोबाईल में एक कॉल को समाप्त करने वाला बटन भी होता है जिससे निरीक्षक काल को समाप्त कर सकता था। निरीक्षक अगर चाहते तो श्री सामन्तो के नम्बर को ब्लॉक भी कर सकते थे।

उन्हें जनता के टैक्स के पैसे से वेतन मिलता है,जनता का शासन है जनता द्वारा बनाये गये कानून का सही ढ़ंग से पालन हो रहा है या नहीं यह देखना भी जनता का कार्य है।

निरीक्षक ने कॉल रेकार्ड को वायरल कर अपराध किया? उसे अपने अधिकारी को काल रेकार्ड देना चाहिए था या पुलिस में एफआईआर करवाना चाहिए थ

निरीक्षक ने कॉल रेकार्ड को ब्लैकमेल या अन्य कुत्सित उद्देश्य के लिए रखा हुआ था। जब उसके विरूद्ध शिकायत हुयी तो उसने उस काल रेकार्ड का प्रयोग बदला लेने के लिए रेकार्डिंग के करीब 50 दिनों बाद प्रयोग किया।

क्या निरीक्षक को इतनी भी जानकारी नहीं कॉल रेकार्डिंग की फोरेंसिक जांच करायी जाती है और फोरेंसिक लैब ही सत्यता का प्रमाणपत्र जारी करता है।

RPF निरीक्षक को क्या साक्ष्य अधिनियम की कोई जानकारी नहीं?

क्या कोई सीडी बनाने वाला दुकानदार प्रमाणपत्र दे सकता है और वह न्यायालय में सबूत के रूप में मान्य होगा।

क्या निरीक्षक को इतनी भी जानकारी नहीं कि रेलवे एक्ट में दर्ज मुजरिम के विरूद्ध CD-R निकाला जाये,जिससे साबित हो कि वह उस फोन नम्बर पर बात किया था।अवैध रूप से जवान का CD-R निकालने में महारत हासिल है,आज भी कोडरमा के निरीक्षक समेत कई कर्मी धनबाद में संबद्ध है।

क्या निरीक्षक को यह भी जानकारी नहीं कि काल रेकार्डिंग पर मामला IT Act के तहत दर्ज होता है और पुलिस को कार्यवाही का अधिकार है।

ट्वीटर पर शिकायत की जांच वही व्यक्ति किया जिसके बिरूद्व शिकायत की गई।क्या संविधान में ऐसा ही न्यायव्यवस्था बनाया गया है? क्या कोई व्यक्ति अपने मामले की जांच खुद कर सकता है।

निरीक्षक जब खुद को ही एफआईआर दिया तो प्रभारी की हैसियत से जांच किसी अन्य को क्यों नहीं सौंपा?

RPF के उच्चाधिकारी को RPF Rule 1987 के नियम 248 के बारे जानकारी नहीं है क्या?

एक निरीक्षक के बिरूद्ध जनता द्वारा की गई शिकायत की जांच सिर्फ सुरक्षा आयुक्त या उससे उपर के रैंक के अधिकारी ही कर सकते हैं।सहायक सुरक्षा आयुक्त भी नहीं कर सकते।

श्री सामन्तों कोई बल सदस्य नहीं है।
अतः उच्च न्यायालय में श्री सामन्तो के बिरूद्व RPF निरीक्षक गोमो द्वारा दायर करने पर मामला खारिज होने की संभावना 200% है। उल्टे सही ढ़ंग से पक्ष रखा जाय तो श्री सामन्तो मानसिक प्रताड़ना के साथ अन्य अधिकार हनन के लिए मुआवजे का हकदार भी है।

श्री सामन्तो द्वारा हॉकर के बारे में शिकायत पर CTI का बचाव वाला जांच रिपोर्ट पढ़िये।

इस रिपोर्ट में निरीक्षक स्वयं फंस रहे हैं। निरीक्षक ने जांच के क्रम में हॉकर की पहचान के लिए CTI/गोमो को लिखे। CTI ने रिपोर्ट Sr.DCM को दी, उसकी प्रति भी निरीक्षक RPF को नहीं दी। फिर निरीक्षक के पास रिपोर्ट आया कैसे?

सर्वप्रथम CTI के रिपोर्ट में एक व्यक्ति श्री आशीष पासवान का जिक्र है। CTI लिखते हैं कि उसका कार्ड संख्या 162 है तथा वह पर्यवेक्षक है।
सर्वप्रथम स्टाल में एक मैनेजर और साथ में अधिकतम तीन शिफ्ट का तीन भेंडर रखने का परमिशन ले सकता है। वह भेंडर स्टाल के बाहर जाकर सामान नहीं बेचेगा।
स्टाल से बाहर जाकर सामान बेचने के लिए भेंडर को परमिशन नहीं है। उसके लिए अलग से स्टेशन भेंडिंग का परमिशन लेना पड़ता है,जिसके लिए स्टाल वाले के लाईसेंस फीस का कुछ प्रतिशत ज्यादा राशि प्रति भेंडर देना पड़ता है।

पहचान पत्र के लिए भी वाणिज्य रेल मंडल कार्यालय में आवेदन करना पड़ता है,वहां भी निश्चित फीस जमा करने पर जिस व्यक्ति को भेंडर के रूप में पहचान पत्र के लिए आवेदन किया गया है उसका पुलिस भेरिफिकेशन, मेडिकल इत्यादि के बाद ही पहचान पत्र जारी होगा। फिर अगर वह काम छोड़ दिया तो दूसरे के लिए वही प्रक्रिया अपनाना पड़ेगा।

CTI ने कहीं नहीं लिखा है कि उसका स्टेशन भेंडिंग का परमिशन था।

दूसरा हसमत अली का भाई अमजद अली के बारे लिखे हैं कि वह गोदाम से माल पंहूचाता है।
उसे स्टेशन में प्रवेश करने और निकलने का परमिशन कौन दिया? क्या कोइ भी व्यक्ति प्रवेश करेगा और एक स्टाल वाले से लिखा लेंगे कि वह उसका माल पंहूचाता था।

कोई भी अपराधी अपराध करे और शिकायत करने पर निरीक्षक लिखवा ले कि वह फलां स्टाल वाले का माल पंहूचाता है।

CTI को जानकारी नहीं कि स्टेशन में माल पंहूचाने ले जाने का काम सप्लायर का है, स्टाल वाले का नहीं तथा सप्लायर स्टेशन में माल सप्लाई के लिए कर्मचारी के लिए परमिशन मांगेगा और एक निश्चित राशि परमिशन और पहचान पत्र के फीस के लिए चुकायेगा।

अमजद अली पर तो स्टेशन परिसर में अवैध प्रवेश का और बिना टिकट के प्रवेश का तो मामला बनता ही है।
श्री सामन्तों ने जो फोटो भेजा है,उसमें देख सकते हैं कि स्टेशन पर खुले में चुल्हा जलाकर
कुछ खाद्य सामग्री बनाकर बेच रहा है।

निरीक्षक को उच्च न्यायालय में जवाब देना मुश्किल हो जायेगा,साथ ही आरपीएफ विभाग के अधिकारी एवं रेलवे वाणिज्य विभाग के अधिकारी की फजीहत होने की संभावना है।
CTI/निरीक्षक अपने रिपोर्ट में ही श्री सामन्तो के आरोप को सही प्रमाणित कर रहे हैं। उल्टे RPF निरीक्षक/CTI ने अपने कर्तव्य का सही पालन नहीं किया

श्री असीम कुमार सामन्तो के द्वारा उच्च न्यायालय रांची के वकील से मामला दायर करने के लिए की जा रहे संपर्क से मामला रोचक होने की संभावना बन रही है।

डेली भंडाफोर का मिशन – “अच्छा कार्य करेंगे, हम गुणगान करेंगे,भ्रष्टाचार करेंगे, हम बेनकाब करेंगे।”