RPF सिपाही को ASI ने मारा, पुरे OP कर्मी का तबादला-जानिए शर्मनाक कांड

RPF सिपाही को ASI ने मारा, पुरे OP कर्मी का तबादला-जानिए शर्मनाक कांड

RPF सिपाही को ASI ने मारा, पुरे OP कर्मी का तबादला-जानिए शर्मनाक कांड

पूर्व रेलवे के रानाघाट RPF पोष्ट की बाहरी चौकी RPF OP गेंदे के प्रभारी उप निरीक्षक समेत 14 कर्मियों का थोक में तबादला कर दिया गया है। उन कर्मियों के जगह पर विभिन्न रैंको के 16 कर्मियों को वहां संबद्ध किया गया है।

देखें आदेश

इस स्थानान्तरण के पीछे अवैध कमायी और मारपीट है। गेंदे RPF बाहरी चौकी बंगलादेश सीमा पर है। RPF का एक मालदार जगह है और काफी उपरी कमायी है।यही कमायी कलह का कारण बना।

हमारे सूत्र ने जो जानकारी दी कि वहां RPF के अवैध कमायी सामान्य स्त्रोत के अलावे तस्करी, (गांजा,चंदन लकड़ी,कफ सिरफ,सिगरेट,कपड़े इत्यादि)मनी एक्चेंज और ओवर कैरी (खोया पाया ) सामान इत्यादि भी है। तस्करी  भारत से बंगलादेश और बंगलादेश से भारत दोनों तरफ होती है। रेलवे भी तस्करी का एक माध्यम है। जिसके कारण तस्करी के माल जो लावारिस मिलता है उसका भी अवैध ढ़ग से पूरा या आंशिक निपटारा चंद भ्रष्ट कर्मियों द्वारा करने का असफल/सफल प्रयास  किया जाता  है।

पिछले वर्ष भी कुछ झंझट फंसा था जैसे गांजा एवं चंदन लकड़ी का पैकेट।

RPF में दो तरह के ईमानदार हैं एक तो वैसे जो ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करते और अपराध में कार्यवाही से निष्क्रिय रहते हैं। ऐसे इमानदार कर्मियों की संख्या सबसे ज्यादा है तथा पसंद भी किये जाते हैं।

दूसरे तरह के ईमानदार वे है जो खुद तो ईमानदार हैं एवं दूसरे से भी ईमानदारी की अपेक्षा करते हैं एवं भ्रष्टाचार से लड़ते हैं। इनकी संख्या कम है तथा इनके दुश्मन भी काफी है,समर्थक कोई नहीं। इनके कारण ही बेईमानों का आर्थिक घाटा होता है तथा इसी किस्म के इमानदार और बेईमान में सतत् संघर्ष चलता रहता है।

यही बात गेंदे आरपीएफ बाहरी चौकी  में हुयी।

वर्तमान घटनाक्रम

 पिछले वर्ष दिसम्बर को प्रारम्भ हुयी । एक  ट्राली बैग गेंदे स्टेशन में  दिसम्बर 2019 में लावारिस  आया। उसे एक RPF कर्मी ने कार्यालय में जमा कर दिया।जो 28/12/2020 तक कार्यालय में मौजूद था।

एक जनवरी को एक RPF सिपाही मुकेश राम जो छूट्टी में था,उसने उस बैग के बारे में खोजबीन शुरु की कि उसका वारिस आया था या नहीं,तो पत्ता चला कि उस वैग को ASI  साहब ले गये।

ये भी पढ़ें – RPF में चोर पकड़ने वाले को सजा और भगाने वाले को पुरस्कार-DG/RPF न्याय करें।

 

सिपाही लावारिस बैग की पुछताछ क्यों की इसी बात को लेकर  दिनांक 2/1/2020 को  ASI रबि शंकर पासवान  ने सिपाही मुकेश राम  की भरपूर पिटायी कर दी।

2019 जुलाई में लावारिस बरामद  गांजा को बिना कारवायी के अवैध तरीके से कई दिनों रखा गया था,तथा प्रशासन के संज्ञान में आने पर तब बाद में  कारवायी की गई। उसी समय दोषियों पर  सख्त कारवायी की गई होती तो लावारिस ट्राली को ले जाने का दुःसाहस नहीं किया जाता। दोषी तो प्रशासन भी है इस स्थिति के लिए।

घायल सिपाही मुकेश राम का एफआईआर भी नहीं हुआ घायल और दर्द से कराह रहे जवान को  ईलाज के लिए न भेजकर, अधिकारियों द्वारा बयान लिया जाने लगा।

बयान के बाद ईलाज हेतु रानाघाट भेजा गया। वहां से डॉक्टर ने कचरापाड़ा भेजा जहां 6/1/2020 तक भर्ती रहा उसके बाद बी.आर.सिंह अस्पताल कोलकाता भेजा गया जहां 10/1/2020 तक भर्ती रहा और 30/1/2020 तक बहिरंग में ईलाज कराया।

उक्त ASI रबि शंकर पासवान को निलंबित कर सियालदह कंट्रोल में संबद्ध कर दिया गया। इसी बीच मामला उलझता देख निलंबित ASI मुख्यालय को छोड़कर 18 जनवरी को गेंदे पंहूंच गया और वहां उस ट्राली बैग को पुनः कार्यालय में रखने गया और विवाद हुआ जिसके बारे में वहां पुनः पुरा मामला रोजनामचा म़ें प्र.आ.  द्वारा दर्ज किया गया। इसकी रिपोर्ट भी हुयी,उसके बाद ASI को नारकेलडांगा आरपीएफ रिजर्व कम्पनी में हाजिरी लगाने के लिए और रहने के लिए संबद्ध कर दिया गया है।

आखिर एक तरफ DG/RPF एवं आम रेल यात्री RPF की ईमानदारी की आज कल काफी प्रशंसा कर रहे है कि RPF के कारण हजारों की संख्या में यात्रियों का भुला या खोया सामान मिल रहा है। RPF की छबि बदल रही है।

वही दूसरी तरफ ऐसे भी कर्मी हैं जो इस भूले खोये सामान को अवैध ढ़ंग से कब्जाने/चुराने का घृणित काम करते हैं। RPF की छबि को बर्वाद करते हैं।

इस स्थानान्तरण से सारे कर्मी ASI की निंदा कर रहें है,तथा विभाग पर ASI को बचाने की चर्चा कर रहे हैं।

सबसे बड़ी बात 14 कर्मियों में से 10 को एक ही मंडल मालदह में दिया गया है। बताया जाता है मालदह पूर्व रेलवे  RPF कर्मियों का कालापानी है। पिछले 15-20 वर्षों से पूर्व रेलवे में यह परंपरा चली आ रही है कि जिसपर भी कोई रिपोर्ट हो मालदह भेज दो। मालदह क्या डंम्पिंग  ग्राउंड  है या सुधारगृह । वहां के अधिकारियों को कितनी कठिनाई होती होगी ऐसे कर्मीयों से कार्य लेने में। अगर इसी तरह सभी भ्रष्ट आरपीएफ कर्मी मालदह मंडल में जुट जायेंगे तो रेलवे/रेसुब का इमेज क्या होगा। ऐसे लोगों के कारण ही मालदह मंडल बदनाम है। उच्चाधिकारियों को ऐसे लोगों पर समय रहते उचित/कठोर कार्रवाई करना चाहिए न कि सिर्फ स्थानांतरण करके खानापूर्ति।

इस असमय थोक स्थानान्तरण के कारण काफी लोंगो में कारण जानने की उत्सूकता है कि आखिर क्यों हुआ पुरे बाहरी चौकी का  स्थानान्तरण?