WVM टेंडर घोटाला,IRCTC विजीलेंस जांचकर्ता को हटाने का कौन बना रहा दवाब?

डेली भंडाफोर ने सबसे पहले रेलवे के IRCTC द्वारा WVM टेंडर आवंटन में जमशेदपुर के लोकनाथ केटरर के पार्टनर श्री संतोष सिंह द्वारा IRCTC के राजपत्रित अधिकारी सुनील गुप्ता पर चेक से घुस लेने वाले आरोप का भंडाफोर सर्वप्रथम हमने किया था।

उसके बाद डेली भंडाफोर ने ट्वीटर के माध्यम से दूसरा फर्जी दस्तावेज के बल पर वाटर भेंडिग मशीन टेंडर आवंटन घोटाला का भंडाफोर किया गया था।

IRCTC के राजपत्रित अधिकारी श्री सुनील गुप्ता को निलंबित होना पड़ा,तथा उनका स्थानान्तरण असंवेदनशील पद पर मुम्बई कर दिया गया। उनके बिरूद्ध IRCTC के भिजीलेंस टीम द्वारा मामला दर्ज कर जांच हो रही थी। उस घुस कांड वाले टेंडर आवंटन में कई अन्य अधिकारियों,जिनमें कुछ वर्तमान में DRM जैसे पद पर आसीन हैं, की संलिप्तता संदेह के घेरे में आ रही हैं।

सूत्र ने सूचना दी है कि IRCTC की भिजिलेंस टीम के सदस्य श्री सुशान्त कुमार पटनायक, श्रीमती प्रिया गोपालकृष्णन और श्री राजेश खन्ना, जिन्होंने इस कांड की जांच बिना दवाब,निडरता तथा बिना बिके अभी तक की है, उनको स्थानान्तरण कर मामले को लीपापोती करने की चाल भ्रष्ट अधिकारी के द्वारा चली जा रही ।

जिससे यह जांच अपनी अंतिम परिणति तक न पंहूचे। इसके पीछे जिन बड़े अधिकारियों को फंसने की आशंका है वे रेलवे बोर्ड स्तर से इस न बिकाऊ विजीलेंस जांच टीम को स्थानान्तरण के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।

आखिर रेलवे बोर्ड स्तर पर भी कोई न कोई अधिकारी होगा जो इन भ्रष्ट अधिकारियों का संरक्षक होगा जो विजीलेंस टीम को ही स्थानान्तरण कर पुरे जांच को प्रभावित करना चाहता है।

रेल मंत्री और चेयरमैन को IRCTC की विजीलेंस टीम के जांचकर्ता सदस्यों को जांच पूर्ण होने तक स्थानान्तरण से रोका जाय,अन्यथा यही समझा जायेगा कि रेलवे में भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस सिर्फ मूंह से कथनी है करनी भ्रष्टाचार है

बिना दस्तावेज और फर्जी दस्तावेज के बल पर कोलकात्ता की कम्पनी ऐहराम मैनेजमेंट प्राईवेट लिमिटेड द्वारा फर्जी तरीके से प्राप्त दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर,रायपुर बिलासपुर मंडल, पूर्व रेलवे के मालदह मंडल,द.पू.रेलवे आद्रा मंडल के करीब 100 वाटर भेंडिग मशीन के आवंटन को रद्द कर दिया गया।

एहराम मैनेजमेंट को दी गई नोटिस को पढिये।

 


ऐहराम मैनेजमेंट पर फर्जीबाड़ा कर वाटर भेंडिग मशीन के टेंडर हासिल करने के बिरूद्ध FIR के लिए मय सबूत के साथ आवेदन की गई है।

इस जांच को भी IRCTC की उसी विजीलेंस टीम ने अंजाम दिया तथा बड़ी तीव्रता से जांच और कारवायी की,जिसने सुनील गुप्ता चेक कांड की जांच की थी।

इस कांड में संलिप्त अधिकारियों पर रेलवे द्वारा कोई कारवायी नहीं की गई। रेलवे के भ्रष्ट गुट के प्रभावशाली संरक्षक सदस्य विजीलेंस टीम को स्थानान्तरण कर मामले को रफा दफा कर किसी कमजोर अधिकारी को तैनात कर भ्रष्ट अधिकारी को अपनी मर्जी के जांच रिपोर्ट तैयार कर क्लीन चीट दिलवाने की साजिश रच रहे हैं।

भारत के प्रधानमंत्री, रेल मंत्री और विजीलेंस कमिश्नर को इस मामले में हस्तक्षेप कर पुरी जांच इसी जांच टीम के सदस्यों द्वारा पूर्ण करवायी जानी चाहिए।

100 वाटर भेंडिग मशीन का आवंटन रद्द हुआ,पर भ्रष्ट तरीके से बिना दस्तावेज के WVM को आवंटित करने वाले अधिकारी पर कारवायी क्यों नहीं की जा रही।

सूत्र ने यह भी बताया कि विजीलेंस टीम को शिकायतकर्ता मो.शमशेर के द्वारा घुस के रूप में दिये गये करीब 28 लाख रूपये को तारीखवार व्यौरा विजीलेंस टीम को दिया गया। विजीलेंस टीम से पुरे घटनाक्रम और घटना स्थान की पुष्टि शिकायतकर्ता द्वारा करवायी एवं टेंडर का वीडियो फुटैज हासिल किया।

सूत्र द्वारा बताया गया कि फर्जी तरीके से बिना दस्तावेज के एहराम कम्पनी को मुखौटा बनाकर 100 वाटर भेंडिग मशीन को भ्रष्ट रेलवे अधिकारियों द्वारा अपरोक्ष व्यापार चलाया जा रहा था एवं भ्रष्ट रेलवे अधिकारियों द्वारा विभिन्न तरीकों से भ्रष्टाचार की कमायी को सफेद करने जरिया वाटर भेंडिग मशीन को बनाया।

मोदी सरकार को रेलवे में ऐसे तरीके काले धन को सफेद बनाने के खेल की जांच की जानी चाहिए।

साथ ही संदिग्ध सरकारी अधिकारियों एवं उनके रिश्तेदारों के द्वारा संचालित विभिन्न तरह चेरीटेवल और धार्मिक ट्रष्ट के चंदों की भी जांच करवानी चाहिए। ये सब भ्रष्टाचार की कमायी को सफेद करने के कुछ जाने माने तरीके हैं।

IRCTC के इस विजीलेंस टीम की जितनी सराहना की जाय उतनी कम है। परन्तु विजीलेंस जांच टीम के स्थानान्तरण की दवाब और साजिश अपने आप में सबूत है कि रेलवे में भ्रष्टाचार उपर से नीचे है।

नीचे वाले सिर्फ दस बीस में नौकरी गंवा बैठते हैं ,जबकि उच्च स्तर पर लाखों करोड़ो का भ्रष्टाचार होता है और वे बच जाते हैं,क्योंकि इस मोटी भ्रष्टाचार की कमायी के कई अदृश्य हिस्सेदार हैं जो संरक्षण के बदले हिस्सेदारी लेते हैं।

सवाल

राजपत्रित अधिकारी सुनील गुप्ता पर अनुशासनिक कारवायी कब होगी।
निम्नपद के अधिकारी को अभी तक नौकरी से निकाल दिया जाता।

कौन अधिकारी है जो जांच टीम को स्थानांतरित करवाने का दवाब बना रहा,उसकी भी जांच हो , पहचान हो और उस पर भी कारवायी हो।

एहराम मैनेजमेंट पर कारवायी हुयी,पर उस टेंडर को आवंटित करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों पर कारवायी कब होगी।

क्या रेलवे के भ्रष्ट अधिकारी रेलवे विजीलेंसको सिर्फ कठपुतली बनाकर रखना चाहते हैं तथा जांच रिपोर्ट सिर्फ क्लीन चीट के रूप में चाहते हैं।

जांच टीम का स्थानांतरण कर जांच कार्य से हटाना अपने आप में सबूत है कि रेलवे में भ्रष्टाचार कितना घातक रूप ले चुका है।

वाटर भेंडिग मशीन टेंडर का मात्र दो टेंडर का हमने सबूत समेत भ्रष्टाचार का खुलासा किया था,जबकि सूत्र का कहना है कुल 18 टेंडर में भ्रष्टाचार का संदेह है और सभी की जांच की जानी चाहिए। सभी में गड़बड़ी की संभावना से इंकार नहीं किया जाना चाहिए।

जनता में IRCTC की छबि एक भ्रष्ट संस्था के रूप में बनती जा रही है। रिजर्वेशन टिकट घोटाला, ट्रेन कैंसिल दिखाकर ई टिकट पैसा वापसी घोटाला,WVM घोटाला।

परन्तु खुशी भी है कि रेलवे में इमानदार और न बिकने वाले अधिकारी भी है,जो अपने कर्तव्य का पालन सही तरीके से करते हैं।

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इस IRCTC के जांच टीम को भी डेली भंडाफोर का सलाम

अगले अंक में IRCTC के कुछ और भ्रष्ट कारनामों का भंडाफोर का इंतजार करें।